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साइरस मिस्त्री, अन्य पर 500 करोड़ रुपए की आपराधिक मानहानि का मामला - Sabguru News
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साइरस मिस्त्री, अन्य पर 500 करोड़ रुपए की आपराधिक मानहानि का मामला

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साइरस मिस्त्री, अन्य पर 500 करोड़ रुपए की आपराधिक मानहानि का मामला
Cyrus Mistry, others face Rs 500 crores criminal defamation case
Cyrus Mistry, others face Rs 500 crores criminal defamation case
Cyrus Mistry, others face Rs 500 crores criminal defamation case

मुंबई। उद्योगपति साइरस पी. मिस्त्री, शापूर मिस्त्री और अन्य पर 500 करोड़ रुपए की आपराधिक मानहानि का मुकदमा चलाने मंजूरी यहां की एक अदालत ने दे दी। यह मुकदमा पिछले महीने टाटा ट्रस्ट के प्रबंधक न्यासी आर. वेंकटरमण ने दायर किया था।

एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। महानगर दंडाधिकारी के. जी. पालदेवार ने टाटा संस के अपदस्थ पूर्व अध्यक्ष साइरस पी. मिस्त्री, साइरस इंवेस्टमेंट प्रा. लि. और स्टर्लिग इंवेस्टमेंट प्रा. लि. के अन्य निदेशकों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी।

अधिकारी ने कहा कि उन्हें अदालत में उपस्थित होकर जमानत के लिए मुचलका भरना होगा। बाद में, आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक मानहानि और आपराधिक षड्यंत्र से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए जाएंगे।

अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 24 अगस्त तय की है और उससे पहले आरोपियों को जमानत के लिए अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

वेंकटरमण ने मिस्त्री और अन्य लोगों के खिलाफ झूठे और बदनामी फैलाने वाले बयान देने का आरोप लगाया है और कहा है कि इस तरह उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है।

सुनवाई के दौरान, अदालत ने वेंकटरमण के वकील परवेज मेमन के तर्क को बरकरार रखा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत नागरिकों को जीवन का अधिकार दिया गया है, जिसमें सम्मान के साथ जीने का अधिकार शामिल है और यह सभी कानूनों की दृष्टि से समान है।

मेमन ने आगे तर्क दिया कि मिस्त्री काफी धन और क्षमता वाले व्यक्ति हैं, इसलिए वेंकटरमण की गरिमा का मूल्य बहुत अधिक है और अभियुक्तों को उनकी लापरवाही और गैर जिम्मेदारियों के लिए छूट नहीं दी जा सकती, जो झूठे और आधारहीन थे।

उन्होंने अदालत से कहा कि टाटा संस से निकाले जाने के बाद वेंकटरमण, रतन टाटा, टाटा संस और अन्य लोगों के खिलाफ इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना आरोप लगाए गए। उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान चुप्पी क्यों साध रखी थी, उन्होंने अपनी गलतियों पर क्यों कुछ नहीं बोला, जिसके कारण उन्हें टाटा संस से निकाला गया था।