नई दिल्ली। हम पलक झपकते है लेकिन किसी को ये पता नहीं की पलक झपकते समय आंखों के सामने अंधरा क्यों नहीं आता। वैज्ञानिकों ने इस पर अध्ययन किया।
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कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सिंगापुर के ननयांग तकनीकी विश्वविद्यालय और पेरिस के डेसकार्टस विश्वविद्यालय एवं डारटमौथ कॉलेज के वैज्ञानिकों के ‘करेंट बायोलजी’ पत्रिका में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि आंखों के इस ‘खेल’ में कि एक सेकेंड के लिए भी हमारी आंखों के सामने अंधेंरा नहीं छाए और हमारी नजरें जहां थीं वहीं रहें, हमारे दिमाग को बहुत कसरत करनी पड़ती है। इसके अलावा आंखों में नमी बनाये रखने और किसी तरह के जलन से बचाये रखने के लिए पलकों का झपकना होता है।
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मुख्य अध्ययनकर्ता सिंगापुर के ननयांग तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गेरिट माउ ने कहाहमारी आंखों की मांसपेशिया वस्तुत: काफी ‘आलसी’ होती हैं।
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हमारा दिमाग लगातार सक्रिय रहकर यह सुनिश्चित करता है कि पलक झपकाए जाने के दौरान आंखें जहां देख रही थीं वहीं देखें। इसके लिए हमारे दिमाग को अलग से मेहनत करनी पड़ती है। हमारे दिमाग को अपने ‘मोटर सिग्नल’ का लगातार अनुकूलन बनाये रखना पड़ता है ताकि आंखें वहीं देखें जहां उन्हें देखना होता है।
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