अजमेर। मुख्यमंत्री वसुंधराजे के धुर विरोधी एमएलए घनश्याम तिवाडी ने दीनदयाल वाहिनी के राजनीतिक पार्टी के रूप में चुनावी समर में कूदने की संभावना पर मुहर लगा दी। उन्होंने दो टूक कहा कि अगला चुनाव सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच नहीं होगा।
मुख्यमंत्री वसुंधराजे की तीन दिवसीय दौरे के बाद अजमेर से रवानगी होते ही उनके धुर विरोधी दीन दयाल वाहिनी के प्रदेशाध्यक्ष एवं बीजेपी एमएल घनश्याम तिवाडी का रविवार को अजमेर आगमन हुआ।
तिवाडी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में एक बार फिर राजे पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि हम अब आर पार की लडाई को तैयार हैं, व्यक्तिवाद से न देश चलता है न राज्य और न ही सरकारें। उन्होंने कहा कि लोकसंग्रह अभियान के तहत वे अजमेर आए हैं। दूदू, अरांई और किशनगढ के बाद अजमेर शहर में प्रवेश के साथ आमजन का भरपूर समर्थन मिला।
सामाजिक समरसता और अर्थिक न्याय विषय पर कृष्णगंज स्थित ओम पैलेस में एक संगोष्ठी में आए तिवाडी ने मीडिया के सवालों को बेबागी से जवाब दिया। प्रदेश में दीनदयाल वाहिनी की राजनीतिक दखल को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बडा फैसला लेने की घडी करीब आती जा रही है। लोकजन संग्रह अभियान का समापन 12 नवंबर को सीकर के रामलीला मैदान में होगा। इस दौरान वाहिनी के अधिवेशन में बडे निर्णय लिए जाएंगे। उसी दौरान हम नई राजनीतिक शक्ति के निर्माण की घोषणा करेंगे।
किसी तरह की गलतफहमी नहीं, सीधा मतभेद
तिवाडी से पूछा गया कि इससे पहले वे की बीजेपी की सरकार के साथ रहे, मंत्री के रूप में भी काम देखा, अचानक कुछ साल से टकराव के हालात क्यो बने? जवाब में तिवारी ने कहा कि किसी तरह की गलतफहमी नहीं बल्कि सीधे तौर पर मतभेद है। मुख्यमंत्री की कार्यशैली व्यक्तिवादी और सामंतवादी है। मैं लोकत़ांत्रिक और वैचारिक पृष्ठभूमि से वास्ता रखता हूं यही सबसे बडा मतभेद है। मुख्यमंत्री मनमर्जी से फैसले लेती रहीं हैं। इससे पार्टी और संगठन के बीच तो दूरियां बढ ही रहीं है, जमीन से जुडा पार्टी का कार्यकर्ता भी मुखर होकर आलोचना करने लगा है। इस सरकार ने अपनी ही पार्टी के भीतर विपक्ष खडा कर लिया है।
संघ विचार ही दीनदयाल वाहिनी की असल ताकत
दीनदयाल वाहिनी की वर्तमान राजनीतिक हैसियत पर पूछे गए सवाल पर तिवाडी ने कहा कि वाहिनी में वैचारिक पृष्ठभूमि वाले बीजेपी एवं संघ विचारों वाले अधिकांश कार्यकर्ता दीनदयाल वाहिनी के साथ हैं। और जो सत्ता से जुडे हुए हैं उनमें से अधिकांश वसुंधरा राजे के साथ हैं। अभी तो लडाई बीजेपी के भीतर बीजेपी में चल रही है।
उपचुनाव में दखल नहीं करेंगे, नजर रखेंगे
तिवाडी ने प्रदेश की दो सीटों अलवर और अजमेर के उपचुनाव में प्रत्याशी खडा करने की योजना से इनकार करते हुए कहा कि दीनदयाल वाहिनी उपचुनाव नहीं लडेगी। लेकिन मुख्यमंत्री ने जो मुद्दा पैदा किया है उसके खिलाफ लोक शिक्षण का काम करेगी। सीएम अब अलग अलग जाति के लोगों को बुलाकर पूछ रहीं हैं कि उनकी क्या समस्या है। वे जातियता का सहारा ले रही हैं। ब्राह्मण, क्षत्रीय, कायस्थ और वैश्य तथा ओबीसी से वंचित सिंधी और मुस्लिम जिनका 14 प्रतिशत आरक्षण विधानसभा में पास कर दिया लेकिन 4 साल से उस बिल को सरकार हठधर्मिता के साथ दबाकर बैठी हुई है आदि मसलों पर लोक शिक्षण का काम दीनदयाल वाहिनी करेगी।
दीनदयाल वाहिनी बन सकती है तीसरी ताकत
दीनदायाल वाहिनी के राजनीति भविष्य पर पूछे गए सवाल के जवाब में तिवाडी ने कहा कि यह भ्रम निकाल दिया जाना चाहिए कि राजस्थान में सिर्फ दो राजनीतिक पार्टिया हैं। शुरुआती दौर में राम राज्य परिषद एक नंबर की विपक्षी पार्टी थी। उसके बाद स्वतंत्र पार्टी प्रमुख विपक्षी पार्टी थी और जनसंघ दूसरे नंबर पर था। उसके बाद भाजपा प्रमुख विपक्षी पार्टी के तौर पर उभर कर सामने आई। बीजेपी की सरकार भी भैंरोसिह शेखावत के नेतृत्व में बनी, लेकिन तब भी थर्ड फ्रंट के रूप में जनता दल अच्छी विधायक संख्या के साथ विपक्ष में अस्तित्व में आया।
लेकिन बीते दो तीन चुनावों पर गौर करें तो हमने कोशिश करके बीजेपी को प्रमुख पार्टी बना दिया। लेकिन अब जो परिस्थितियां बनी है उसमें यह कहना कि कौनसा तीसरा फ्रंट होगा अभी बताया नहीं जा सकता। कौनसा तीसरा फ्रंट फर्स्ट बन जाए कौन सेंकेंड और कौन तीसरे नंबर पर चला जाए इस बारे में वर्तमान हालात में अनुमान से बाहर की बात है। वर्तमान में सोशल मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया का दायरा बढा है, पढे लिखे लोग हैं, मोबाइल सबके हाथ में रहता है ऐसे में परिवर्तन की गुंजाइश ज्यादा है।
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