बूंदी। दीनदयाल वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थान ऐसा पहला राज्य होगा जिसकी विधानसभा में सालभर केवल तीन घंटे बैठक हुई और वो भी हंगामें के कारण बिना किसी कामकाज के स्थगित कर दी गई। तिवाड़ी ने इसे लोकतांत्रिक संस्था का अपमान बताया।
तिवाड़ी ने इस दौरान कहा कि अगर विधानसभा चली तो वे अपने लोकसंपर्क अभियान के दौरान आए अनुभवों को सदन के सामने रखेंगे। उन्होंने बताया कि वे पिछले दो दिनों से लोकसंपर्क अभियान के तहत हाड़ौती के दौरे पर थे। वे बूंदी जिले के गौतम छात्रावास में आयोजित दीनदयाल वाहिनी के एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे।
हर जगह फायदा ढूंढ़ना लोक कल्याणकारी सरकार की प्रवृति नहीं
तिवाड़ी ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले साल में ही 17 हजार स्कूल बंद कर दिये। इसके बाद 4 हजार स्कूलों को और बंद किया गया। उन्होंने कहा कि यह स्कूल सर्व शिक्षा अभियान के तहत उनके शिक्षा मंत्री रहते हुए खोले गए थे। स्कूल बंद होने से जो 56 हजार शिक्षकों के पद समाप्त हो गए, उन्हें समाप्त न किया जाए।
उन्होंने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा लोक कल्याणकारी कार्यों का निजीकरण किया जा रहा है, इसे भी बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा, चिकित्सा और परिवहन जैसे सार्वजनिक हित के क्षेत्रों में फायदा तलाशना लोक कल्याणकारी प्रवृति नहीं है, ये सामंती सोच का परिणाम है। लोकतंत्र में सामंतशाही का अंत करना जरूरी है।
सामाजिक समरसता के लिए वंचित वर्गों को आरक्षण जरूरी
तिवाड़ी ने कहा कि सरकार की अनदेखी के कारण गुर्जरों के साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ, इससे उनको मिलने वाला 1 प्रतिशत आरक्षण भी हाईकोर्ट द्वारा खत्म कर दिया गया। अब उनकी हालत राजपूत और ब्राह्मणों जैसी हो गई है। दूसरी तरफ, वंचित वर्गों का 14 प्रतिशत आरक्षण का बिल विधानसभा में पास होने और राज्यपाल के दस्तखत होने के बावजूद सरकार द्वारा नोटीफिकेशन जारी नहीं किया गया। इससे यह वर्ग भी आक्रोशित है।
तिवाड़ी ने सवाल किया कि जब विधानसभा उसे लागू करना चाहती थी, किसी पार्टी में उस आरक्षण को लेकर कोई मतभेद नहीं, कोई समाज इसका विरोध नहीं कर रहा है। वैसे समय में सरकार उनींदी सी सभी समाजों को लड़ाकर सामाजिक समरसता क्यों बिगाड़ना चाहती है।
वहीं तिवाड़ी ने मांग करते हुए कहा कि वंचित वर्ग ‘ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत और कायस्थ’ के गरीब लोगों को 14 प्रतिशत आरक्षण और विशेष ओबीसी को 5 प्रतिशत आरक्षण सरकार तुरंत लागू करे। ताकी राजस्थान में सामाजिक समरसता नहीं बिगड़े।
मंत्री बनने के बजाय धरना देकर मंदिर बनाना मेरा सौभाग्य
तिवाड़ी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस प्रकार के काम किए जो हमारी पार्टी की व्यवस्था के खिलाफ है। हम गौ रक्षा की बात करते हैं और 27 हजार गायें जयपुर की हिंगौनिया गौशाला में सरकार की नाक के नीचे मारी गई। दीनदयाल वाहिनी ने संघर्ष किया, मैं स्वयं धरने पर बैठा, तब कहीं जाकर सरकार ने हाथ पैर हिलाए।
मगर तब भी सरकार कुछ नहीं कर पाई तो गौशाला ही अक्षय पात्र को संभला दी। वहीं जयपुर में 200 मंदिरों का तोड़ा गया, झालावाड़ की स्थिति आपने भी देखी है। तिवाड़ी ने इसपर कहा कि मुझे लगता है कि मंत्री बनने के बजाये मंदिर बनवाने के लिये धरने पर बैठना मेरा सौभाग्य है।
जब तक धन का विकेंद्रीकरण नहीं होगा तब तक आर्थिक विषमता खत्म नहीं होगी
तिवाड़ी ने विश्व बैंक की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हाल ही भारत विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बना, परंतु भारतीय 182वें नंबर पर हैं। इसका अर्थ साफ है कि हमारी कुल संपदा का 58 प्रतिशत देश के केवल 1 प्रतिशत लोगों के पास है। वहीं 68 प्रतिशत किसानों के पास केवल 8.5 प्रतिशत संपदा हैं। अगर भारत पांचवे नंबर पर है तो भारतीय को भी पांचवे नंबर होना चाहिए।
ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि हमारी नीतियां ठीक नहीं है। जब तक कॉरपोरेट जगत के पास इकट्ठे सारे धन का विकेंद्रीकरण नहीं होगा तब तक देश में उत्पन्न आर्थिक विषमता की स्थिति खत्म नहीं हो सकती।
तिवाड़ी ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था जब तक दूर दराज में बसी ढ़ाणी में रहने वाले व्यक्ति को भी उतनी सुविधा न मिले जितनी की दिल्ली में रहने वाले व्यक्ति को मिलती है, तब तक बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का कोई लाभ नहीं है।
कार्यकर्ताओं की उपेक्षा न हो इसके लिए आंतरिक लोकतंत्र की लड़ाई जरूरी
आंतरिक लोकतंत्र पर बात करते हुए तिवाड़ी ने कहा कि दिल्ली का हाईकमान फलाने नेता को टिकट बांटने का काम सौंपता है मगर फलाना नेता पार्टी की टिकट को ज्यादा रकम देने वाले को बेच देता है और जमीनी कार्यकर्ता की उपेक्षा कर दी जाती है। कार्यकर्ता की उपेक्षा न हो और पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र कायम हो मैं उसकी लड़ाई लड़ रहा हूं।
सामाजिक समरसता और आर्थिक न्याय तब कायम नहीं होंगे जब सभी राजनीतिक पार्टीयों में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना नहीं होगी। इस दौरान तिवाड़ी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों से इस लड़ाई में उनका साथ मांगा और आगंतुकों ने भी समर्थन में नारे लगाये।
प्लूटोक्रेसी और पार्बोक्रेसी को समाप्त करने के लिये वाहिनी की स्थापना
तिवाड़ी ने कहा कि हमारे देश में लोकतंत्र की स्थापना की गई थी। लोकतंत्र का मतलब उस तंत्र से है जिसमें पहले कार्यकर्ता अपनी पार्टी का प्रत्याशी चुने और फिर जनता उन चुने हुए प्रत्याशियों में से अपने नेता का चयन करें। इसके लिये पार्टी में आंतरिक चुनाव जरूरी है, परंतु आजकल हाईकमान जिसे कहेगा वो ही चुनाव लड़ता है।
उन्होंने देश की राजनीति में परिवारवाद का उदाहरण देते हुए कहा कि जयललिता, करूणानिधि, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शरद पंवार, नवीन पटनायक, मायावती, मुलायम सिंह और यहां प्रदेश में भी मां बेटे पार्टी के मालिक बने बैठे हैं। ये लोकतंत्र नहीं है ये तो परिवाशाही चल रही है।
तिवाड़ी ने कहा कि जब अरविंद से आजादी के बाद पूछा गया कि लोकतंत्र भारत के लिए ठीक होगा या नहीं, तब उनका जवाब था कि यदि पार्टी पर कार्यकर्ताओं का नियंत्रण रहता है तो बढ़िया है। नहीं तो यह प्लूटोक्रेसी में बदल सकता है और जब घूर्त और धनवानों का शासन लागू हो जाता है तो प्लूटोक्रेसी, पार्बोक्रेसी में तब्दील हो जाती है और तब जनता की बिल्कुल नहीं सुनी जाती।
उन्होंने कहा कि इस तरह के शासन को समाप्त कर और पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की स्थापना करने के लिए ही दीनदयाल वाहिनी की स्थापना की गई।