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जेठमलानी ने जेटली से पूछा, 'क्या आप अमृतसर से चुनाव लड़कर अपनी प्रतिष्ठा आंक रहे थे' - Sabguru News
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जेठमलानी ने जेटली से पूछा, ‘क्या आप अमृतसर से चुनाव लड़कर अपनी प्रतिष्ठा आंक रहे थे’

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जेठमलानी ने जेटली से पूछा, ‘क्या आप अमृतसर से चुनाव लड़कर अपनी प्रतिष्ठा आंक रहे थे’
defamation case : ram jethmalani cross questions Finance Minister arun jaitley
defamation case : ram jethmalani cross questions Finance Minister arun jaitley
defamation case : ram jethmalani cross questions Finance Minister arun jaitley

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आप नेताओं के खिलाफ डीडीसीए मानहानि केस के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के समक्ष अरुण जेटली का मंगलवार को भी क्रास एग्जामिनेशन हुआ। कल की तरह आज भी अरुण जेटली का क्रास एग्जामिनेशन वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने किया।

अब इस मामले में अरुण जेटली का क्रास एग्जामिनेशन 15 मई को होगा। जेठमलानी ने जेटली से आज 19 सवाल पूछे जिनमें तीन को कोर्ट ने गैरजरूरी बताते हुए खारिज कर दिया । आज क्रास एग्जामिनेशन के दौरान रामजेठमलानी ने जेटली से पूछा कि आप पहली बार लोकतंत्र में अमृतसर से चुनाव लड़कर अपनी प्रतिष्ठा आंक रहे थे?

जेटली ने इसका प्रतिवाद करते हुए कहा कि इसे चुनावों से नहीं जोड़ सकते हैं। जब कुछ सवालों के जेटली ने जवाब नहीं दिया तो रामजेठमलानी ने कहा कि हम उनकी छवि को लेकर बात कर रहे हैं और वो किसी और की छवि की बात कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि आप उनसे कोई भी सवाल पूछ सकते हैं और वो कोई भी जवाब दे सकते हैं लेकिन आप उन्हें जवाब देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं।

जेठमलानी ने जेटली से पूछा कि आपने बिशन सिंह बेदी और मधुकिश्वर के खिलाफ अवमानना का केस क्यों नहीं किया? जबकि बेदी के पत्र में उस समय की चर्चा थी जब आप डीडीसीए के अध्यक्ष थे। जेठमलानी ने पूछा कि क्या आप इस बात से अवगत थे कि मुख्य संरक्षक को भी डीडीसीए के एक्जीक्युटिव सदस्य के बराबर अधिकार होते हैं? अरुण जेटली ने कहा कि वे डीडीसीए के मुख्य संरक्षक थे और वे 2014 में खुद इस पद से हट जाना चाहते थे।

रामजेठमलानी के प्रश्न और जेटली के उत्तर:

प्रश्न- क्या आपको पता है कि मैं ने श्री नरेन्द्र मोदी को ये सलाह दी थी आपको अमृतसर सीट से उम्मीदवार नहीं बनाया जाए? कोर्ट ने इस सवाल को गैर जरूरी बताते हुए इसकी अनुमति नहीं दी।

प्रश्न 2- क्या ये सही है कि आपने अमृतसर से चुनाव लड़कर आप पहली बार लोकतंत्र के पैमाने पर अपनी प्रतिष्ठा को आंक रहे थे? जेटली- किसी भी चुनाव का नतीजा उस इलाके के कई कारणों पर निर्भर करता है। जरूरी नहीं ये किसी प्रत्याशी के सम्मान की परख हो। केजरीवाल भी उसी चुनाव में वाराणसी से करीब साढ़े तीन लाख वोटों से हारे थे। ये सही है कि हम अमृतसर से एक लाख मतों से चुनाव हार गए। 2014 में मैं राज्यसभा का सदस्य था जिसके अभी चार साल बचे थे। (जेटली को एक पत्र दिखाते हुए)

प्रश्न 3- क्या कोई खास वजह रही कि पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने आपके खिलाफ प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संगीन आरोप लगाए हैं? जेटली-जब वो डीडीसीए अध्यक्ष का चुनाव मुझसे हार गए तब मैंने उन्हें दिल्ली क्रिकेट टीम का तीन सालों के लिए चीफ कोच नियुक्त किया था। उनकी नियुक्ति तीन सालों से ज्यादा तक नहीं हो सकती थी। उसके बावजूद मैं उन्हें सम्मान देता रहा जिसके वो क्रिकेटर होने के नाते हकदार थे।

मुझे ये याद नहीं है कि प्रधानमंत्री ने मुझे बिशन सिंह बेदी का मेरे खिलाफ वो पत्र दिखाया था। (स्वीकार करते हुए-जब वर्तमान प्रधानमंत्री ने शपथ ली तब तक मैं डीडीसीए और बीसीसीआई से रिश्ते तोड़ चुका था। मुझे ये याद नहीं है कि मैंने वो पत्र पढ़ा था कि नहीं। मुझे ये भी याद नहीं है कि प्रधानमंत्री ने वो पत्र दिखाया था।) जेटली के वकीलों ने इस पत्र पर आपत्ति जताई क्योंकि ये एक फोटोकॉपी थी।

प्रश्न 4- आप कृपया ये दस्तावेज देखें और बताएं कि इस पत्र की लिखी बातें सही हैं कि गलत? जेटली- ये पत्र 2015 में लिखा गया था जबकि मैं ने 2013 में डीडीसीए के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था। मैं इस पत्र की बातों से बिल्कुल असहमत हूं। मैंने मंत्री रहते हुए या विपक्ष के नेता पद पर रहते हुए कभी भी किसी मंत्रालय या विभाग को डीडीसीए में कुछ गड़बड़ करने के लिए प्रेरित नहीं किया।

कारपोरेट मामलों के प्रभारी मंत्री रहते हुए मैं ने संबंधित विभागों के सचिवों को ये निर्देश दिया था कि डीडीसीए से संबंधित कोई भी फाइल हमारे सामने नहीं लाई जानी चाहिए। इस निर्देश का पालन किया गया। इसलिए हितों के टकराव का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है क्योंकि उस समय न मैं किसी क्रिकेट एसोसिएशन से संबंधित था और न ही सरकार की तरफ से इसे डील कर रहा था।

ये सही है कि पत्र में लिखी बातें उस समय की हैं जब मैं डीडीसीए का अध्यक्ष था। लेकिन पत्र में लिखी बातें गलत हैं। जब मैं अध्यक्ष नहीं था तो मैं चाहता था कि डीडीसीए और बीसीसीआई से सारे संबंध खत्म हो जाएं। डीडीसीए ने आग्रह किया कि मैं मुख्य संरक्षक के रूप में कार्य करूं जिसके अधिकार किसी पदाधिकारी के बराबर नहीं होते हैं। मैं उस पद पर छोटे अंतराल के लिए था। मेरे आग्रह पर 2014 में मुझे उस पद से भी मुक्त कर दिया गया।

ये सही है कि मुख्य संरक्षक का पद डीडीसीए की नियमावली में है। लेकिन ये सही नहीं है कि मुख्य संरक्षक को डीडीसीए के पदाधिकारियों के बराबर अधिकार होते हैं। मुझे याद है जब मैं अध्यक्ष था तो कोई संरक्षक और मुख्य संरक्षक कभी भी डीडीसीए की बैठकों में नहीं आए। मैं भी एक ही बार एक्जीक्युटिव कमेटी की बैठक में गया। उसके बाद मैंने डीडीसीए के अधिकारियों से मुख्य संरक्षक के पद से खुद को मुक्त करने का आग्रह किया। मैं डीडीसीए की नियमावली की पहचान कर सकता हूं। उसकी एक प्रति कोर्ट के रिकॉर्ड में है।

प्रश्न 5- मैं आपसे कह रहा हूं कि आपने डीडीसीए का मुख्य संरक्षक रहते एक्जीक्युटिव कमेटी की कई महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल हुए। आपका इस पर क्या कहना है? जेटली – नहीं। मैं मुख्य संरक्षक रहते केवल एक बार एक्जीक्युटिव कमेटी की बैठक में गया।

प्रश्न 6-अब जब आपने पत्र पढ़ लिया है तो किसी बयान से आपको गुस्सा आता है कि बिशन सिंह बेदी के खिलाफ कार्यवाही करें? कोर्ट ने इस प्रश्न को खारिज कर दिया।

प्रश्न 7- मैं कह रहा हूं कि प्रधानमंत्री ने इस पत्र की ओर आपका ध्यान आकर्षित किया था। आपकी उनसे इस मुद्दे पर बात हुई और आपने प्रधानमंत्री से कहा कि इस पत्र में लगाए गए आरोपों पर मैं अपनी प्रतिष्ठा कोर्ट में खुद बचाउंगा। इस पर आपका क्या कहना है? जेटली – ये कथन पूरी तरह गलत है। ये पत्र जनवरी 2015 का है और मानहानि का केस दिसंबर 2015 में दायर किया गया है। जब मैं 2014 में मंत्री बना तो मेरे पास चार मंत्रालयों के प्रभार थे। लेकिन मेरे पास दो महत्वपूर्ण मंत्रालय थे। फिलहाल मेरे पास वित्त और कारपोरेट मामलों का मंत्रालय है।

प्रश्न 8- मैं ये कहता हूं कि आपको प्रधानमंत्री ने इसलिए वित्त मंत्री बनाया क्योंकि आपने बिशन सिंह बेदी द्वारा लगाए गए आरोपों में अपने पक्ष में फैसला करवाने का भरोसा दिया था। इसके बारे में आपका क्या कहना है? जेटली – ये सरासर गलत है। मैं मधु किश्वर को जानता हूं। मैं ये नहीं मानता कि वो पत्रकार हैं। मधु किश्वर ने बयान दिया था। मैं ये नहीं कह रहा हूं कि उन्होंने 17 दिसंबर, 2015 को ये बयान ट्विटर पर दिए थे। लेकिन ये बयान उसी समय के आसपास का है।

प्रश्न 9- केजरीवाल ने ये कहा था कि ये गंभीर आरोप हैं। इसके बारे में आपका क्या कहना है? जेटली- केजरीवाल ने मुझे झूठ के सहारे बदनाम करने का संगीन काम किया है। मेरी पत्नी और बेटी पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने सार्वजनिक बहस का स्तर गिराया। सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग आरोप लगाते रहते हैं। लेकिन अगर एक मुख्यमंत्री उनका समर्थन करें तो ये गंभीर बात है।

प्रश्न 10-आप मधु किश्वर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं करना चाहते। इस पर आपका क्या कहना है? जेटली-सोशल मीडिया पर कई लोग सामाजिक जीवन के लोगों के खिलाफ गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी करते हैं लेकिन किसी मुख्यमंत्री द्वारा सहमति जताना इसे गंभीर बना देता है। यहां तक कि झूठे आरोप भी विश्वसनीय होने लगते हैं। मानहानि से भरे बयानों की वजह से मैंने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की।

प्रश्न11- आपने सोचा कि मधु किश्वर पर कानूनी कार्रवाई करें लेकिन बाद में राय बदल दी। इस पर आपका क्या कहना है? जेटली- हमने कभी उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की नहीं सोची।

प्रश्न 12- न्यूज चैनल एबीपी न्यूज के ट्वीट देखिए। आपका इसके बारे में क्या कहना है? जेटली- ये एबीपी न्यूज का ट्वीट है। लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से इस बैठक के बारे में नहीं जानता।

प्रश्न 13- ये बिशन सिंह बेदी का ट्वीट है जिसके बारे में केजरीवाल ने सहमति जताई। इसके बारे में आपका क्या कहना है? जेटली- ये ट्वीट उनका था। इसका मुझसे कोई संबंध नहीं था क्योंकि ये 2015 की कुछ घटनाओं के बारे में था जबकि मैं ने 2013 में ही डीडीसीए छोड़ दिया था।

प्रश्न 14-ये सीताराम येचुरी के ट्वीट हैं जो केजरीवाल के द्वारा रीट्वीट किए गए। इसके बारे में आपको क्या कहना है? जेटली-ये ट्वीट उनका था लेकिन इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है।

प्रश्न 15- ये कपिल के ट्वीट हैं जो केजरीवाल के द्वारा रीट्वीट किए गए। इसके बारे में आपको क्या कहना है? जेटली- यही वजह है कि मैंने ये वर्तमान वाद दायर किया।

प्रश्न 16- ये जो ट्वीट दिखा रहा हूं उसमें कोई मानहानि की बात नहीं कही गई है। इसके बारे में आपको क्या कहना है? जेटली- ये बयान मानहानि वाले थे। जब आप सभी प्रतिवादियों के संदर्भ में एक साथ देखेंगे तो इसने हमारी प्रतिष्ठा को काफी गंभीर क्षति पहुंचाई।

प्रश्न 17- ये मधु किश्वर के ट्वीट हैं जो केजरीवाल के द्वारा रीट्वीट किए गए। इसके बारे में आपको क्या कहना है? जेटली-ये मानहानि वाले ट्वीट थे और किसी मुख्यमंत्री द्वारा रीट्वीट करने से इस झूठे ट्वीट में विश्वसनीयता जुड़ गई।

प्रश्न 18- ये गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन का प्रेस रिलीज है। इस पर आपको क्या कहना है? (जेटली के वकील ने आपत्ति जताई क्योंकि वो बिना हस्ताक्षर वाली फोटोकॉपी थी ) जेटली- मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। ये प्रेस रिलीज मैं पहली बार आज कोर्ट में देख रहा हूं। आपको बता दें कि इस मामले में कल यानि सोमवार को भी अरुण जेटली का क्रास एग्जामिनेशन हुआ जिसमें जेटली ने कहा कि केजरीवाल ने मेरे खिलाफ मानहानि वाले बयान उनके सचिव के दफ्तर में पड़े छापे से ध्यान हटाने के लिए दिए थे।