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Dehradun safe hideout for criminals due to slack verification
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अपराधियों के लिए महफूज रहा है देहरादून, सत्यापन पर उठे सवाल

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अपराधियों के लिए महफूज रहा है देहरादून, सत्यापन पर उठे सवाल
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देहरादून। दशकों पहले खालिस्तान का नेटवर्क स्थापित करने में नाकाम रहे उग्रवादियों ने दून को अपनी शरण स्थली बनाया था।

बेशक, उग्रवादी नाकाम हुए, लेकिन अंडरवर्ल्ड के शूटरों से लेकर आतंकवादियों की दून में धरपकड़ से यह बात जरूर सामने आई कि आखिरकार इस पर समय से अंकुश क्यों नहीं लग पाता है।

इस बार भी एलआईयू, आईबी तथा स्थानीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। करीब आठ साल पहले भी दून से अंडरवर्ल्ड के पांच बदमाशों को मुंबई पुलिस ने आर्यनगर से दबोचा था। इन सभी का बाद में पुलिस ने एन्काउंटर कर डाला था।

यह सभी दून के आर्यनगर में बेहद शांत जिंदगी व्यतीत कर रहे थे। इनके मोहल्ले वालों को कभी इल्म नहीं था कि भोले से दिखने वाले लोग ऐसे भी निकल सकते हैं। जब इनकी गिफ्तारियां हुई तो हर कोई भौचक्क रह गया था।

इसके अलावा नब्बे के दशक में खालिस्तान आतंकवाद के दौरान भी दो आतंकियों को दून पुलिस ने तब मार गिराने में कामयाबी हासिल की थी। बहरहाल, सवाल इस बात का है कि आखिर क्यों नहीं स्थानीय एजेंसियों को इस तरह के अपराधियों के दून में छिपे होने की भनक लग पाती।

परमिंदर उर्फ पैंदा की गिरफ्तारी के बाद भी हर बार की तरह सवाल सत्यापन को लेकर है। दून में कौन कहां से आ रहा है और कहां गया इसका रिकार्ड न मकान मालिक को है और न ही स्थानीय पुलिस स्टेशन के पास।

इसी कारण अपराधी दून की पाश कालोनियों से लेकर मिडिल क्लास के घरों में बतौर किरायेदार बनकर रहते आये हैं और अपनी कारगुजारियों को अंजाम देते रहे हैं। वर्ष 2005 में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने लश्कर के आतंकी अहसान को दबोचा था और 2010 में हिजबुल के दो आतंकियों को गिरफ्तार किया था।

इन आतंकियों ने क्लेमेंटटाउन और प्रेम नगर क्षेत्र में किराये पर कमरा लिया। उनकी मंशा आईएमए की पासिंग आउट परेड में धमाका करने की थी। वर्ष 2008 में हेडली ने आईएमए तथा वुडस्टाक स्कूल की रेकी का दावा किया था।

पुलिस बाहरी लोगों के सत्यापन का काम पूरी तत्परता से करने तथा किराएदारों की सूची बनाने की बात कहती रही है। लेकिन इस बार भी परविंदर की गिरफ्तारी ने फिर सत्यापन की पोल खोल दी।

सवाल है कि सत्यापन का काम पूरी तरह से खानापूर्ति और झूठे आंकड़ों पर ही आधरित तो नहीं? पंजाब के नाभा जेल ब्रेक के सूत्रधार सुनील की पत्नी गीता और नौकर को पुलिस ने मंगलवार दोपहर न्यायालय में पेश किया जहां से उन्हे न्यायालय के आदेशों के तहत जेल भेज दिया गया है।

परविंदर की गिरफ्तारी के बाद सुनील एकाएक गायब हो गया था। गौरतलब है कि पुलिस ने परमिंदर के सहयोगी सुनील की पत्नी गीता निवासी अमन विहार व उसके नौकर अदित्य को गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने लाखों की नगदी व हथियार बनाने का सामान बरामद किया। जिन्हे मंगलवार को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है। आतंकियों के जेल ब्रेक के बाद सुनील की पत्नी गीता और नौकर गिरफ्त मे आ गए,लेकिन सुनील और उसका साथी रहस्यमयी ढंग से लापता हो गए।

पलमिंदर ने दून में सुनील के साथ साजिश रचने के खुलासे के बाद पुलिस अलर्ट हो गई। पत्नी और नौकर की गिरफ्तारी के बाद हुए खुलासे के बाद यह बात सामने आई कि सुनील और उसका साथी जेल ब्रेक के प्लान में संलिप्त थे।

पुलिस रायपुर के अलावा डिफेंस कालोनी में भी फोकस कर रही है, क्योंकि सुनील पहले कुछ माह यहां पर रह चुका है। एसएसपी सदानंद दाते ने बताया कि पुलिस यूपी तथा पंजाब पुलिस के संपर्क में है।

उन्होंने यह भी बताया कि गीता और नौकर को मामले की पूरी जानकारी थी और घर में चर्चा के दौरान वह अक्सर मौजूद रहते थे। इसके अलावा इस परिवार से मिलने जुलने वालों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।