नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने शुक्रवार को कहा कि वाहनों की सम-विषम योजना के प्रभावों को जाने बिना इसे राजधानी में लागू करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
दिल्ली सरकार द्वारा 13 से 17 नवंबर तक सम-विषम योजना लागू करने के एक दिन बाद एनजीटी ने यह दिशा-निर्देश जारी किया। दिल्ली सरकार ने दिल्ली व एनसीआर इलाके में गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सम-विषम की योजना रखी है।
एनजीटी ने कहा कि सरकार को अदालत को संतुष्ट करने की जरूरत है कि कारों की सम-विषम योजना वास्तव में लाभदायक रही है।
एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार ने कहा कि हरित बेंच सम-विषम योजना के खिलाफ नहीं है, वह यह जानना चाहती है कि यह कैसे मददगार है।
उन्होंने कहा कि हम सम-विषम वाहन नियंत्रण व्यवस्था योजना को अनुमति नहीं देंगे, जब तक कि आप यह नहीं साबित करेंगे कि यह अनुत्पादक नहीं है।
उन्होंने कहा कि डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी) व सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) की रिपोर्ट बताती है कि पिछली बार इस योजना पर अमल से प्रदूषण के स्तर में कोई बदलाव नहीं आया था। यह साफ है कि छोटी कारें मुख्य प्रदूषक नहीं हैं बल्कि यह डीजल व ज्यादा बोझ वाले वाहन हैं।
पीठ ने यह भी सरकार से कहा कि वह साफ तौर पर बताए कि प्रस्तावित 500 अतिरिक्त बसें जो सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए सम-विषम के दौरान चलाई जाएंगी, उनमें से कितनी डीजल पर चलेंगी।
कुमार ने कहा कि दिल्ली मेट्रो सम-विषम के पिछले संस्करण के दौरान पीक ऑवर के दौरान सहायता करने में विफल रही थी। यहां तक मेट्रो के अंदर भी सांस लेना मुश्किल हो गया था।
उन्होंने सरकार से दो पहिया वाहनों को इजाजत देने के पीछे के कारणों पर भी स्पष्टीकरण मांगा। योजना पर अंतिम फैसला शनिवार को लिए जाने की संभावना है।