नई दिल्ली। पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद दिवाली से एक दिन पहले ही दिल्ली दुनिया की सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाली राजधानी बन गई है। दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर एक बार फिर बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
हालांकि दिवाली के समय दिल्ली में वायु प्रदूषण चरम पर पहुंच जाता है। एक तरफ पटाखों का धुआं होता है तो दूसरी तरफ खेतों में अलाव जलाने से पैदा हुआ धुआं। हालांकि इस बार सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में पटाखों की बिक्री पर रोक तो लगा दी लेकिन दिल्ली से सटे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के इलाकों में अलाव जलाने का काम जारी है।
एनवायर्मेंट पॉल्यूशन बोर्ड के मुताबिक बुधवार को दिल्ली की हवा में प्रति घन मीटर 200 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 प्रदूषक तत्व दर्ज किये गये। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की सेफ लिमिट से 8 गुना ज्यादा है। 25 माइक्रोग्राम को सेफ लिमिट माना जाता है।
यह स्तर क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस, लंग कैंसर और दिल की कई बीमारियां पैदा करता है। 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे ने दुनियाभर के 1,600 देशों में से दिल्ली को सबसे ज्यादा दूषित करार दिया था। इस साल की शुरुआत में अमेरिका के दो हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूटों के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण के कारणों हर साल लाखों अकाल मौत मर रहे हैं।
हालांकि दीपावली पर केवल वायु प्रदूषण ही नहीं ध्वनि प्रदूषण भी चरम पर रहता है। सीपीसीबी से मिली जानकारी के अनसुार पिछले छह सालों का ट्रेंड बताता है कि ध्वनि प्रदूषण हर साल बढ़ता ही जा रहा है।
लोगों को शोर वाले पटाखे अधिक पसंद आते हैं और पूरी रात इनका शोर जारी रहता है। अधिक शोर रहने से लोगों में बहरापन, कान दर्द, कान में झनझनाहट, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द जैसी शिकायतें बढ़ती हैं।