नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने किराये से संबंधित नियमों के उल्लंघन के मामले में एप आधारित कैब सेवा प्रदाता कंपनियों ओला तथा उबर को सोमवार को नोटिस जारी किया। महानगर दंडाधिकारी अभिलाष मल्होत्रा ने 11 दिसंबर को मामले की अगली सुनवाई के दिन कंपनी को अधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से अदालत में पेश होने को कहा।
अदालत का यह आदेश गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) न्यायभूमि के सचिव राकेश अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान आया है।
शिकायत ओला, उबर इंडिया सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड का संचालन करने वाली एएनआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड तथा टैक्सी फॉर श्योर का संचालन करने वाली कंपनी सेरेंडिपिटी इंफोलैब प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दर्ज कराई गई थी।
अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या, यह स्पष्ट होता है कि कंपनी ने 20 जून, 2013 को अधिसूचित मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम तथा सिटी टैक्सी स्कीम (सीटीएस) का उल्लंघन करते हुए अधिक किराया वसूला।
अदालत के मुताबिक उसी के मुताबिक, मोटर वाहन अधिनियम की धारा 192 ए का उल्लंघन किया गया। एनजीओ ने कथित तौर पर किराये से संबंधित नियमों का पालन न करने तथा मीटर से संचालन नहीं करने को लेकर कैब सेवा प्रदाताओं से 91,000 करोड़ रुपए के रिकवरी की मांग की है।
याचिका में एक प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि टैक्सी तथा ऑटो रिक्शा प्रदान कर वे परमिट की शर्तो का उल्लंघन कर रहे हैं, जो मोटर वाहन अधिनियम की धारा 66 तथा 192 ए का उल्लंघन है।