नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली शर्मनाक हार के बाद कांग्रेस के लिए दिल्ली अब और दूर हो गई है। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी को लोकसभा चुनाव में अबतक के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड तथा जम्मू कश्मीर में भी भारी हार का सामना करना पड़ा था लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में उसका पूरी तरह सफाया हो गया।
दिल्ली में लगातार पन्द्रह साल तक शासन करने वाली यह पार्टी इस बार खाता भी नहीं खोल पाई और 50 से भी अधिक सीटों पर तो उसके उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस मुक्त बनाने की बात करते रहे हैं और इन चुनाव परिणामों से लगता है कि कांग्रेस उसी दिशा में बढ़ रही है।
एक समय देश भर में लगभग एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस अब गिने चुने राज्यों तक ही सिमट कर रह गई है। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि पिछले आम चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन कर मात्र 44 सीटों पर सिमटने वाली पार्टी के लिए दिल्ली के चुनाव परिणाम बहुत बड़ा झटका है तथा उसे जनता का विश्वास जीतने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी अन्यथा उसके लिए दिल्ली और दूर होती जाएगी।
दिल्ली में पार्टी की कमान युवा नेताओं को सौंपने की कांग्रेस नेतृत्व की रणनीति काम नहीं आई। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांंधी की रैली तथा उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रैलियां और रोड शो भीड़ खींचने के बावजूद उन्हें वोट में तब्दील नहीं कर पाए। इस स्थिति को देखते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं का एक वर्ग फिर से प्रियंका वाड्रा को पार्टी में महत्वपूर्ण पद देने की मांग करने लगा है।
पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद यह मांग उठती रही है और पार्टी के कुछ बडे नेता भी दबे छिपे यह स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस का खोया जनाधार वापस लाने के लिए इसकी जरूरत है। कांग्रेस दिल्ली की 70 सीटों में से सिर्फ 4 सीटों पर ही दूसरे नंबर पर रही। उसके वोट प्रतिशत में भी भारी कमी आई है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसे 24.6 प्रतिशत मत मिले जो इस बार 10 प्रतिशत से भी नीचे चला गया।
पिछले चुनाव में पार्टी ने आठ सीटों बल्लीमारान, गांधीनगर, मुस्तफाबाद, बादली, ओखला, चांदनी चौक, सुल्तानपुर माजरा तथा सीलमपुर पर जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार उसे इनमें से कोई सीट मिलना तो दूर सात सीटों पर वह दूसरे नंबर पर भी नहीं आ पाई। वह बादली, मंगोलपुरी तथा मुस्तफाबाद पर दूसरे स्थान पर रही है। इसके अलावा मटियामहल सीट पर भी कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही है लेकिन पिछली बार यह सीट उसके पास नहीं थी। वहां से जनता दल यू के शोएब इकबाल विजयी रहे थे जो हाल ही कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन उन्हें इस बार हार का सामना करना पड़ा।