नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमिटी यूनिवर्सिटी के छात्र सुशांत रोहिल्ला की आत्महत्या के मामले को दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के बाद इस मसले पर मंगलवार को पहली बार दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
मंगलवार को जस्टिस जीएस सिस्तानी और जस्टिस विनोद गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पूछा कि क्या एमिकस क्युरी फाली एस नरीमन यहां भी एमिकस क्युरी बने रहना चाहते हैं? जस्टिस सिस्तानी ने दोनों पक्षों से पूछा कि उनके दोनों बच्चे एमिटी यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट हैं तो मैं सुनवाई कर रहा हूं तो क्या आपको कोई एतराज है?
हाईकोर्ट ने सुशांत रोहिल्ला की बहन की मामले में हस्तक्षेप की अर्जी भी स्वीकार कर ली। कोर्ट ने कहा कि वो जो कहना चाहती हैं हम उसे सुनेंगे। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली के इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी को भी पक्षकार बनाया और उसे नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को करेगा।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि ये काफी दुखद है। हम जीवन बचाना चाहते हैं और ऐसी घटना दोहरानी नहीं चाहिए। कॉलेज और परिवार लड़के को ये समझाने में नाकाम रहा कि जीवन अमूल्य है। बच्चा अपनी बात रख सके इसकी हम अनुमति नहीं दे पाए और हम उससे दूर होते गए। आपको बता दें कि छह मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में रोहिल्ला के वकील कामिनी जायसवाल ने कहा कि एमिटी यूनिवर्सिटी ने झूठा हलफनामा दाखिल किया है जिसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने पांच सितंबर को एमिटी यूनिवर्सिटी को नोटिस भेजा था। कोर्ट ने कहा था कि ये संदेह दूर होना जरुरी है कि रोहिल्ला को प्रताड़ित किया गया था या नहीं।
कोर्ट ने इस मामले में मदद करने के लिए फाली एस नरीमन को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। सुशांत लॉ के थर्ड ईयर का छात्र था और उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया था। उसने दस अगस्त को अपने घर में ही खुदकुशी कर ली थी। सुशांत के दोस्त की चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था। उसके दोस्त ने एमिटी यूनिवर्सिटी को आत्महत्या के लिए उकसाने का केस चलाने की मांग की थी।