नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा की याचिका को खारिज कर दी। मंत्री ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराने के आदेश को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय से राहत न मिलने के साथ ही भाजपा नेता के आगामी राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने की संभावना क्षीण हो गई है। मिश्रा की याचिका पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रखने वाली न्यायाधीश इंदरमीत कौर ने याचिका खारिज कर दी।
निर्वाचन आयोग ने चुनाव खर्च के ब्योरे में पेड न्यूज पर हुए खर्च का खुलासा न करने को लेकर 23 जून को उन्हें अयोग्य ठहरा दिया और तीन साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी।
मिश्रा ने निर्वाचन आयोग के आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन उन्हें अंतरिम राहत नहीं मिली।
इसके बाद मंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए मामले की उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय से आपात सुनवाई की मांग की थी, ताकि वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए होने वाले मतदान में हिस्सा ले सकें।
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को मिश्रा को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करने के लिए कहा था। नरोत्तम संसदीय मामलों के मंत्री हैं और विधानसभा का सत्र 17 जुलाई से शुरू हो रहा है, जिस दिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान भी है।
साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान स्थानीय मीडिया को दिए गए पेड न्यूज का ब्योरा नहीं देने के लिए मिश्रा को अयोग्य ठहराते हुए आयोग ने कहा कि वह पेड न्यूज के खतरे को लेकर चिंतित है, जो चुनाव में काफी तेजी से बढ़ रहा है।
निर्वाचन आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि पांच हिंदी अखबारों में प्रकाशित 42 समाचार मिश्रा के पक्ष में पूर्णत: पक्षपातपूर्ण थे।
यह घटना चुनावों में धन के विनाशकारी प्रभाव की अभिव्यक्ति है और यह हाल के वर्षो में तेजी से कैंसर की तरह बढ़ रहा है।
मिश्रा को अयोग्य ठहराने का आयोग का यह आदेश कांग्रेस के विधायक भारती द्वारा साल 2009 में दाखिल शिकायत पर आया है। भारत दतिया विधानसभा क्षेत्र से मिश्रा से चुनाव हार गए थे।