नई दिल्ली । बिजली वितरण करने वाली कंपनियों के खातों का कैग द्वारा ऑडिट किए जाने संबंधी याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया । मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ ने कहा कि दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत अपना आदेश सुनाएगी ।
गौरतलब है कि मंगलवार को मामले में टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के वकील ने अदालत में दलील दी थी कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने कंपनी के खातों का कैग द्वारा ऑडिट करवाने का कोई कारण नहीं बताया है । कंपनी सरकारी संस्था नहीं है । ऐसे में उसका ऑडिट नहीं किया जा सकता।
इससे पहले मामले में दिल्ली सरकार के वकील ने दलील दी थी कि मामले में प्राकृतिक संसाधन लिप्त है । सरकार व बिजली वितरण कंपनियों की आम जनता के प्रति जबावदेही है ।
पेश मामले में सरकार ने बिजली वितरण करने वाली निजी कंपनियों बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड व टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के खातों का ऑडिट कैग द्वारा कराए जाने के आदेश जारी किए थे । इस निर्णय को कंपनियों ने उच्च न्यायालय में एक सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। खंडपीठ ने सरकार के निर्णय को सही ठहराया था । इसके बाद इस निर्णय को दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गई है ।