नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से एक पीठ का गठन करने को कहा है, जो मध्य प्रदेश के राज्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा की उस याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें उन्होंने उन्हें निर्वाचन आयोग द्वारा अयोग्य ठहराने के फैसले को चुनौती दी है।
निर्वाचन आयोग ने चुनाव खर्च के ब्यौरे में पेड न्यूज पर हुए खर्च का खुलासा न करने को लेकर 23 जून को उन्हें अयोग्य ठहरा दिया और तीन साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी।
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर तथा न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ ने पीठ का गठन करने के लिए मिश्रा तथा शिकायतकर्ता राजेंद्र भारती को बुधवार को खुद दिल्ली के मुख्य न्यायाधीश से मिलने का निर्देश दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की गुरुवार से फौरन सुनवाई करने का निर्देश दिया है, ताकि फैसला 17 जुलाई से पहले आ सके, क्योंकि इस दिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है। आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर जरूरत हो, तो सुनवाई सप्ताहांत में भी जारी रखी जाए।
मिश्रा ने निर्वाचन आयोग के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन उन्हें अंतरिम राहत नहीं मिली और मामला उसके समक्ष लंबित है।
मंत्री की ओर से न्यायालय में पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए मामले की उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय से आपात सुनवाई की मांग की, ताकि मिश्रा राष्ट्रपति चुनाव के लिए होने वाले मतदान में हिस्सा ले सकें।
रोहतगी ने पीठ से कहा कि नरोत्तम संसदीय मामलों के मंत्री हैं और विधानसभा का सत्र 17 जुलाई से शुरू हो रहा है, जिस दिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान भी है।
लेकिन जब उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि वह निर्वाचन आयोग के आदेश पर रोक लगाएं, तो न्यायाधीश केहर ने कहा कि हम नहीं कर सकते, हम नहीं करेंगे, हमने आदेश देखा तक नहीं है।
साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान स्थानीय मीडिया को दिए गए पेड न्यूज का ब्योरा नहीं देने के लिए मिश्रा को अयोग्य ठहराते हुए आयोग ने कहा कि वह पेड न्यूज के खतरे को लेकर चिंतित है, जो चुनाव में काफी तेजी से बढ़ रहा है।
मिश्रा को अयोग्य ठहराने का आयोग का यह आदेश कांग्रेस के विधायक भारती द्वारा साल 2009 में दाखिल शिकायत पर आया है। भारत दतिया विधानसभा क्षेत्र से मिश्रा से चुनाव हार गए थे।