नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने शुक्रवार को विधानसभा में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा पेश वर्ष 2017-18 के बजट भाषण का जबाव देते हुए सरकार से अनेक तीखे सवाल पूछे जिनके चलते उपमुख्यमंत्री बगले झांकते नजर आए।
बजट की मूलभूत अवधारणा ‘आउटकम बजट’ पर प्रश्न चिह्न लगाते हुए उन्होंने कहा कि सारा बजट खंगालने के बाद भी उन्हें ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिला जो सरकार की कथनी-करनी में एकरूपता दिखाती हो।
उन्होंने मुख्यमंत्री केजरीवाल की पुस्तक ‘स्वराज’ को विधानसभा में लहराते हुए सरकार से पूछा कि मोहल्ला सभाएं दो वर्ष बीत जाने के बाद क्यों अस्तित्व में नहीं आईं। उन्होंने सरकार से पूछा कि सरकार ने शिक्षा पर दोगुना और स्वास्थ्य पर जो डेढ़ गुना खर्च करने का दावा किया था यह दावा आधारहीन पाया गया।
उन्होंने कहा कि यह बढ़ोत्तरी वर्ष-प्रतिवर्ष 15 से 18 प्रतिशत मात्र ही रही है। विपक्ष के नेता ने सरकार से पूछा कि आम आदमी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए सारी दिल्ली में वाई-फाई और सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रस्ताव का क्या हुआ।
उन्होंने पूछा कि नोटबंदी से क्यों दिल्ली और पश्चिम बंगाल में राजस्व में कमी आई। उन्होंने सरकार से न्यूनतम वेतन पर उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने पर सदन को विश्वास में नहीं लेने पर सवाल लिया।
उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सरकार अनुसूचित जाति वर्ग लोगों के साथ अन्याय कर रही है, क्योंकि कुल बजट का 0.9 प्रतिशत ही उनके कल्याण पर खर्च होता है, जबकि अन्य अधिकांश राज्यों में 4 प्रतिशत से अधिक व्यय होता है।
उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सरकार लगातार घाटे का बजट पेश कर रही है। कुल बजट का 80 प्रतिशत वेतन तथा अन्य प्रशासिक कार्यों पर व्यय हो रहा है। मात्र 20 प्रतिशत ही विकास कार्यों पर व्यय हो पाता है।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दोगुने तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में डेढ़ गुना खर्च करने के दावे भ्रामक है। वर्ष 2014-15 में शिक्षा पर वास्तव में 5197 करोड़ रूपए व्यय किए गए। यह कुल बजट 30940 करोड़ रूपए का 16.80 प्रतिशत था।
वर्ष 2015-16 में 6208 करोड़ रूपए व्यय किए गए, जोकि कुल बजट 35196 करोड़ रूपए का 17.63 प्रतिशत था। वर्ष 2016-17 के लिए अनुमानित बजट 7656 करोड़ रखा गया, यह कुल बजट 41200 करोड़ रूपए का 18.50 प्रतिशत था। विपक्ष के नेता ने कहा कि शिक्षा का बजट दोगुने करने की सरकार के दावे झूठे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा के व्यवसायीकरण, दाखिले की प्रक्रिया को संविधान संवत तथा शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए कुछ नहीं किया है। विपक्ष के नेता ने सरकार से पूछा कि सरकार बताए कि वह कैसे दावा कर रही है कि उसने स्वास्थ्य पर व्यय को डेढ़ गुना कर दिया है?