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पांच राज्यों से जुड़े हैं किडनी रैकेट मामले के तार : दिल्ली पुलिस - Sabguru News
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पांच राज्यों से जुड़े हैं किडनी रैकेट मामले के तार : दिल्ली पुलिस

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पांच राज्यों से जुड़े हैं किडनी रैकेट मामले के तार : दिल्ली पुलिस
Delhi Police bust kidney racket across 5 states, at its center apollo doctor's two assistants
Delhi Police bust kidney racket across 5 states, at its center apollo doctor's two assistants
Delhi Police bust kidney racket across 5 states, at its center apollo doctor’s two assistants

नई दिल्लीं। दक्षिण-पूर्व दिल्ली के एक नामी-गिरामी प्राइवेट अस्पताल में पकड़े गए किडनी रैकेट मामले में दिल्ली पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है।

पुलिस ने बताया कि उन्हें पिछले छह महीने में ऐसे पांच केसों का रिकॉर्ड मिल चुका हैं, जिसके तार दिल्ली सहित पांच राज्यों से जुड़े हुए हैं। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु शामिल है।

पुलिस के अनुसार किडनी देने वाले को दिल्ली में इसकी कीमत दो से ढाई लाख रुपए तक दी जाती है, जबकि किडनी लेने वाले मरीज को 25 से 30 लाख रुपए का भुगतान करना होता है। इस काम में दलालों के अलावा डॉक्टरों के सहायकों को भी पचास हजार रूपए दिए जाते हैं।

उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु जैसे राज्यों से गरीब लोगों को दिल्ली लाकर उनके फर्जी दस्तावेज तैयार कर अमीर लोगों को किडनी बेची जा रही थी।

इस मामले की तह तक जाने के लिए दिल्ली पुलिस अस्पताल के डॉक्टरों से पूछताछ कर रही है। पुलिस का कहना है कि इसमें और भी रैकेट सामने आ सकते हैं। वह इस दिशा में भी काम कर रही है कि कहीं इसके तार देश के बाहर तो नहीं जुड़े हैं। पुलिस मुख्य सरगना को खोजने में जुटी है।

वहीं, दिल्ली के जॉइंट पुलिस कमिश्नर साउथ ईस्टर्न रेंज आर पी उपाध्याय के बताया, पुलिस को यह सूचना मिली थी कि दक्षिण-पूर्व दिल्ली में स्थित के एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में कुछ लोग अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट कर रहे हैं। पश्चिमी बंगाल व कानपुर से लोगों को दिल्ली लाकर उन्हें सस्ते होटलों में ठहराया जाता था। किडनी का मरीज पहले से ही वेटिंग लिस्ट में होता था।

होटल में ठहरने के दौरान डोनर की जांच कराई जाती थी। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद पेशेंट की किडनी ट्रांसप्लांट की जाती थी। यह टेस्ट अस्पताल में भी किए गए थे और कुछ टेस्ट प्राइवेट लैब में भी किए गए थे। कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पहले किडनी डोनर के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते थे।

पुलिस अफसर ने बताया कि ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट 1994 के तहत ट्रांसप्लांट करने से पहले अस्पताल की इंटरनल असेसमेंट कमिटी से अनुमोदन अनिवार्य होती है। कमिटी के सामने नकली दस्तावेज पेश कर के अनुमोदन कराया जाता था। इसके बाद डोनर को अस्पताल में लाकर किडनी ट्रांसप्लांट कर दी जाती थी।

पुलिस टीम ने गुप्त सूचना मिलने पर इस मामले में पांच मुलजिमों को गिरफ्तार किया, जिनके नाम हैं असीम सिकदर ( निवासी 24 परगना नॉर्थ),देवाशीष मौली (निवासी न्यू जलपाईगुड़ी), सत्यप्रकाश (निवासी कानपुर), आदित्य सिंह (निवासी आली विहार) और शैलेष सक्सेना (निवासी जैतपुर)। इस रैकेट में आदित्य सिंह और शैलेष नामक अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल थे।