नई दिल्ली। राजधानी से दिल्ली से सटे गुड़गांव की एक कंपनी में कार्यरत महिला (25) के साथ रेप करने के मामले में आरोपी टैक्सी चालक को जब गिरफ्तार किया गया था तब वह डरा हुआ था, लेकिन अब उसे अपने कृत्य के लिए कोई पछतावा नहीं है।
आरोपी से पूछताछ करने वाले पुलिस अधिकारियों की माने तो मथुरा से गिरफ्तार किया गया शिव कुमार यादव (32) एक “सिलसिलेवार अपराधी” है और उसके खिलाफ दुष्कर्म के तीन मामले दर्ज हैं। इनमें से दो मामले दिल्ली में और एक उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में दर्ज है। पुलिस ने बताया कि यादव मैनपुरी में तीन अन्य आपराधिक मामलों में आरोपी है।
पूछताछ में अपने कृत्य को यादव ने गलती बताया, लेकिन उसे इस कृत्य के लिए किसी भी तरह का पछतावा नहीं है। मथुरा से जब यादव को गिरफ्तार किया गया था तो वह डरा हुआ था। उसने कभी नहीं सोचा था कि जहां पर वह छिपा हुआ है वहां तक पुलिस पहुंच जाएगी। अभी तक उसने किसी तरह का पछतावा व्यक्त नहीं किया है।
कामकाजी महिलाओं के संबंध में यादव घटिया सोच रखता था, खासतौर से जो महिलाएं देर रात तक काम करती थीं। यादव से पूछताछ करने वाले दल में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि यादव एक “सिलसिलेवार अपराधी” था। वह हमेशा ऎसी महिलाओं की तलाश में रहता था जिन्हें आसानी से निशाना बनाया जा सके।
वह ऎसी महिलाओं को अपना शिकार बनाता था जो देर रात तक काम करती थीं, या फिर जो अजनबियों के साथ यौन संबंध बनाने में खुले विचारों वाली लगती थीं। वह यह भी सोचता था कि जो महिलाएं कम कपड़े पहनती हैं उन्हें आसानी से शिकार बनाया जा सकता है।
शुक्रवार रात के मामले पर एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि जैसे ही महिला टैक्सी में बैठी यादव ने उसका यौन उत्पीड़न करने की योजना बना ली थी, क्योंकि उसने थोड़ी शराब पी रखी थी। उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि महिला शिकायत कर देगी। अधिकारियों ने कहा कि अगर पीडित महिला किसी दोस्त या परिजनों से फोन पर बात कर रही होती तो आरोपी उसका दुष्कर्म करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।
इस बीच मैनपुरी पुलिस का दावा किया कि शिवकुमार यादव के खिलाफ बलात्कार समेत समेत कम से कम तीन मुकदमे अदालतों में लंबित हैं और वह भगोडा घोषित है। मैनपुरी के पुलिस अधीक्षक शशिकांत सिंह ने मंगलवार को बताया कि शिव कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 समेत तीन से चार मामले लंबित हैं। शिवकुमार तीन साल पहले इन मामलों में जमानत पर जेल से बाहर आया था और उसके बाद से अदालतों में हाजिर नहीं हुआ। वह इन मामलों में भगोडा घोषित है।
सिंह ने स्पष्ट किया कि बलात्कार के आरोप से शिवकुमार को बरी किए जाने की खबर बेबुनियाद हैं। इससे पूर्व शिवकुमार की मां गंगाश्री ने स्वीकार किया था कि उसका बेटा पहले भी अपराध के कारण जेल की हवा खा चुका है। आहत गंगाश्री ने कहा कि उसके पुत्र के खिलाफ यदि अपराध सिद्ध होता है तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
परिजनों ने दावा किया था कि शिवकुमार को एक महिला के साथ बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार तो किया गया था मगर बाद में आरोप सिद्ध न हो पाने के कारण उसे रिहा कर दिया गया था। अभियुक्त के पिता रामनाथ यादव ने स्वीकार किया कि उसके पुत्र पर पूर्व में अपराध के कुछ मामले दर्ज हुए थे मगर किसी एक में भी उस पर दोष सिद्ध नहीं हो सका।
शिवकुमार के पड़ोसी भी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं कि वह आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है और गांव की कई युवतियों पर अश्लील फब्तियां कस चुका है। सिंह ने बताया कि शिवकुमार यादव ने खुलासा किया है कि उसने दो साल पूर्व गांव की जमीन बेंचकर मारूति सुजुकी स्विफ्ट डीजायर कार खरीदी थी। करीब पांच महीने पूर्व उसे पता चला कि उबर ने निजी टैक्सी और चालक अनुबंध पर रखना शुरू किया है।
सूत्रों के अनुसार शिव कुमार ने बताया कि उसने दिल्ली के सरायकाले खां स्थित परिवहन विभाग के एक दलाल से सम्पर्क करके फर्जी दस्तावेज बनवा लिए थे। शिव कुमार के खिलापक मैनपुरी जिले के इलाउ थाने में तीन प्राथमिकी दर्ज हैं। शिव कुमार के खिलाफ वर्ष 2003 में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, हवस का शिकार बनाने के लिए महिला को हमला करके चोट पहुंचाने और 323 घायल करने के तहत पहली प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इस मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था और वह जमानत पर जेल से बाहर आया था।
सूत्रों के अनुसार शिव कुमार के खिलाफ वर्ष 2006 में आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया गया था और उसे गिरफ्तार भी किया गया था। वर्ष 2013 में शिवकुमार के खिलाफ भारतीय दंड सहिता की धारा 376 बलात्कार करने और 394 लूट के दौरान घायल करने के तहत मामले दर्ज कराए गए थे।
शिव कुमार के खिलाफ वर्ष 2003 और 2009 में गुंडा एक्ट के तहत इलाउ थाने में ही अलग अलग मामले दर्ज कराए गए थे। पुलिस सूत्रों ने बताया कि शिवकुमार की आपराधिक पृष्ठभूमि रही है। वह इन दिनों मैनपुरी में नहीं रह रहा है। शिवकुमार के खिलाफ मैनपुरी की किसी अदालत से फिलहाल कोई वारंट भी लंबित नहीं है।
मेट्रो से सफर करने वाली महिलाओं के लिए मेट्रो स्टेशन से घर तक का रास्ता कम जोखिम भरा नहीं होता। अक्सर वे ग्रामीण सेवा में सफर करती हैं, जिनके कर्मचारी उनकी उपस्थिति में भी असभ्य भाषा का प्रयोग करते हैं। साथ ही रास्ते में अंधेरा होने और सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे होने से पूरे रास्ते उन्हें डर लगा रहता है। लीग ने सभी चार्टर्ड बसों, कैबों और ऑटो आदि में जीपीएस प्रणाली लगाने की मांग की है।
उसने कहा कि कामकाजी महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाए, जहां महिलाएं देर शाम या रात में काम करती हैं उन संगठनों को अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था करनी चाहिए और पुलिस द्वारा कैब चालकों का सत्यापन किया जाना चाहिए।