आगरा। देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन का छठा और अंतिम ट्रायल मंगलवार को सफल रहा। दिल्ली से आगरा के बीच लगभग 200 किलोमीटर की दूरी को ट्रेन ने एक घंटा 55 मिनट (115 मिनट) में तय किया।
गतिमान एक्सप्रेस का संचालन नौ जून से शुरू होना है। खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिन दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर इसे आगरा के लिए रवाना करेंगे। इस बीच रेलवे बोर्ड ने गतिमान एक्सप्रेस का किराया और ट्रेन नंबर घोषित कर दिया है।
अंतिम ट्रायल के लिए गतिमान एक्सप्रेस आज अपराह्न 11.15 बजे दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से रवाना हुई। ट्रेन 80 मिनट में 12.35 बजे मथुरा स्टेशन से गुजरी और अपराह्न 1.10 बजे आगरा पहुंची। आगरा में 50 मिनट रुकने के बाद अपराह्न 2.20 बजे यह दिल्ली के लिए वापस हो गयी।
4.25 बजे इसे दिल्ली पहुंचना है। ट्रेन में रेलवे के कई अधिकारी मौजूद रहे। रेलवे विभाग ने ट्रेन के आखिरी ट्रायल के लिए कई जगह पर ट्रैक के दोनों ओर बाड़ लगा रखा था। साथ ही सिग्नल सिस्टम को भी अपग्रेड किया गया था।
गतिमान एक्सप्रेस का जब संचालन शुरू होगा उस समय यह 160 किमी प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से दौड़ेगी। इसे 135 मिनट यानि सवा दो घंटे में नई दिल्ली से आगरा पहुंचने का वक्त निर्धारित किया गया है।
आगरा रेल मंडल के पीआरओ भूपिंदर ढिल्लन का कहना है कि ट्रेन इस वक्त से पहले भी पहुंच सकती है। उन्होंने बताया कि ट्रायल के दौरान निर्धारित अवधि ज्यादा रखी जाती है। इससे पहले हो चुके ट्रायल में ट्रेन ने दिल्ली से आगरा का सफर मात्र 103 मिनट में पूरा कर लिया था।
अब तक हुए छह ट्रायल
-पहला ट्रायल-03 जुलाई 2014, समयावधि-103 मिनट
-दूसरा ट्रायल-11 सितंबर 2014, समयावधि-103 मिनट
-तीसरा ट्रायल-23 दिसंबर 2014, समयावधि-105 मिनट
-चैथा ट्रायल-24 दिसंबर 2014, समयावधि-168 मिनट
-पांचवां ट्रायल-26 दिसंबर 2014, समयावधि-168 मिनट
-छठा ट्रायल-02 जून 2015, समयावधि-115 मिनट
कई और रूटों पर चलेगी गतिमान एक्सप्रेस
रेलवे विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गतिमान एक्सप्रेस को नौ और रूटों पर चलाने की योजना है। इनमें कानपुर-दिल्ली,चंडीगढ़-दिल्ली, हैदराबाद-चेन्नई, नागपुर-बिलासपुर, गोवा-मुंबई और नागपुर-सिकंदराबाद आदि रूट शामिल हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में हाई स्पीड ट्रेन को चलाने के लिए प्रयासरत हैं। रेल बजट में बुलेट ट्रेन चलाने की भी चर्चा की गयी थी। इसके लिए जापान समेत कुछ अन्य देशों से तकनीकी मदद भी ली जा सकती है।