भोपाल। प्रदेश में सरप्लस बिजली के दावों के बीच सरकार ने माना है कि बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच साढ़े पांच हजार मेगावाट से ज्यादा का अंतर बना हुआ है। विधानसभा में पेश रिपोर्ट के मुताबिक ये अंतर नवंबर माह के दौरान दर्ज किया गया है। इस बात की भी पृष्टि की गई है कि चालू वित्तीय वर्ष के सितंबर माह को छोड़कर अब तक किसी भी महीने में घरेलू बिजली का उत्पादन 4 हजार मेगावाट से ज्यादा नहीं हुआ है जबकि अप्रैल से नवंबर के बीच बिजली की मांग 6955 मेगावाट से 9507 मेगावाट के बीच बनी हुई है।
शासन की ओर से विज्ञापनों में प्रचारित 13399 मेगावाट बिजली उपलब्धता पर भी सरकार ने सदन में सफाई दी है। रिपोर्ट में ये साफ किया गया है कि फिलहाल इतनी मात्रा में बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है। प्रचारित किया जा रहा आंकड़ा प्रदेश को आवंटित किया गया एनर्जी शेयर है। वहीं, खंडवा में स्थापित श्रीसिंगाजी थर्मल पावर प्लांट भी उम्मीद के मुताबिक बिजली उत्पादन नहीं कर पा रहा है।
विधायक रामनिवास रावत के प्रश्न के लिखित जवाब में ऊर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने सदन को बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान प्रदेश में बिजली की उपलब्धता मांग से अधिक रहने की संभावना है। रिपोर्ट में इस बात से इंकार किया गया है कि उक्त अवधि के दौरान यूपी सहित अन्य राज्यों को प्रदेश ने 2 हजार मेगावाट बिजली बेची है।
13399 मेगावाट बिजली उपलब्धता पर रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें 7064 मेगावाट बिजली राज्य के संयुक्त थर्मल एवं हाइडल उपक्रमों से आवंटित है जबकि 6335 मेगावाट बिजली केंद्रीय क्षेत्र और निजी सेक्टर से आवंटित की गई है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष के दौरान प्रदेश में बिजली की अधिकतम मांग 9507 मेगावाट तक पहुंची है,जिसे घरेलू, सेेंट्रल सेक्टर सहित निजी अनुबंधों के जरिए पूरा किया गया। बिजली की कमी के चलते किसी भी जिले में कटौती की बात से सरकार ने इंकार किया है।
श्रीसिंगाजी का हाल बुरा
प्रदेश में कम कोल खपत कर ज्यादा बिजली उत्पादन के दावों के साथ खंडवा में स्थापित श्रीसिंगाजी सुपर थर्मल पावर प्लांट खरा नहीं उतरा है। जानकारी के मुताबिक प्लांट को चालू वित्तीय वर्र्ष के जून से अक्टूबर माह के बीच कुल 128680 मीट्रिक टन कोयला सप्लाई किया गया। प्लांट की एकमात्र 600 मेगावाट की यूनिट आधे लोड पर चल रही है और इस वर्ष अब तक महज 771 मीलियन यूनिट का उत्पादन किया जा सका है। प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में यहां 660 मेगावाट की दो यूनिट स्थापित की जाना हैं।