जयपुर। प्राचीन मंदिर हटाए जाने के विरोध में आंदोलन कर रही मंदिर बचाओ संघर्ष समिति का राज्य सरकार को मांग पूरा करने के लिए दिया गया अल्टीमेटम पूरा होने के बाद समिति अब नई रणनीति बनाने में जुट गई है।
दो दिन तक असमंजस के बाद आखिरकार समिति की ओर से रविवार को पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। हालांकि समिति पदाधिकारी फिलहाल इस पूरे प्रकरण में कुछ भी स्पष्ट बोलने से बच रहे हैं। समझौते के समय भी सरकार की मांगे मांगने के आश्वासन पर भी कोई साफ जवाब नहीं दिया था। ऐसे में अब दबाव समिति और सरकार दोनों पर ही है।
दरअसल, समिति ने सरकार के सामने दोषी अफसरों को हटाने और हटाए गए मंदिरों को फिर से स्थापित करने की मांग की थी। समिति और राज्य सरकार के बीच तीन बार वार्ता हुई। बताया जा रहा है कि 1947 से पहले के मंदिरों को फिर से स्थापित किए जाने की मांग तो सरकार मान चुकी है। लेकिन मामला अफसरों को हटाने पर अटका हुआ है।
सूत्रों के अनुसार हटाए गए मंदिरों के लिए सरकार ने अलग-अलग स्थानों पर भूमि आवंटन की योजना तैयार की है। सरकार के सामने समिति ने संबंधित मंदिर के नाम से पट्टे जारी करने का प्रस्ताव भी रखा है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार समिति की सभी आठों मांगों का मानने की स्थिति में नहीं है। जबकि समिति की दबाव है कि सभी आठों मांगों पर कार्रवाई हो। समिति संयोजक बद्रीनारायण चौधरी का कहना है कि समिति की सरकार से वार्ता हुई। सरकार के प्रपोजल पर बात चल रही है। सरकार रविवार को मीटिंग करके इस पर निर्णय करेगी।