नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने 500 रुपए तथा 1,000 रुपए के विमुद्रित नोटों को वैध कारणों के साथ जमा करने पर विचार करने के लिए मंगलवार को केंद्र सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक को दो सप्ताह का वक्त दिया।
प्रधान न्यायाधीश जे.एस. केहर तथा न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए महाधिवक्ता रंजीत कुमार से कहा कि वह मुद्दे पर निर्देश लें और न्यायालय को सूचित करें।
रंजीत कुमार ने लोगों द्वारा अपने विमुद्रित नोटों को जमा करने के मौके की मंजूरी को लेकर निर्देश प्राप्त करने के लिए समय की मांग की थी।
पीठ ने कहा कि ये वे लोग हैं, जो 30 दिसंबर की समय सीमा के दौरान अपने पुराने नोटों को जमा नहीं कर पाए थे, जैसे कुछ लोग इस दौरान जेल में थे। पीठ ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि आपने ऐसे लोगों को रोकने का चुनाव क्यों किया।
न्यायालय कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें एक महिला ने कहा है कि उस वक्त उसने बच्चे को जन्म दिया था, जबकि एक अन्य महिला ने कहा कि उनके घर में उस वक्त किसी की मौत हो गई थी।
याचिकाओं में अधिकारियों को विमुद्रित नोट जमा करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
उल्लेखनीय है कि आठ नवंबर, 2016 की रात केंद्र सरकार ने 500 रुपए तथा 1,000 रुपए के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था।
सरकार ने आश्वस्त किया था कि विमुद्रित नोटों को बैंकों, डाकघरों तथा आरबीआई की शाखाओं में 30 दिसंबर, 2016 तक बदले जा सकते हैं। अगर लोग इस समय सीमा के भीतर अपने नोट जमा नहीं करा पाए, तो उन्हें कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 31 मार्च, 2017 तक आरबीआई की शाखाओं में विमुद्रित नोटों को जमा करने का मौका मिलेगा।