रायपुर/राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में अस्पताल प्रबंधन ने आग से झुलसकर मरीज की मौत हो जाने के बाद शव परीक्षण के बाद शव ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की, और पिता को बेटी का शव ठेले पर रखकर ले जाना पड़ा।
सोशल मीडिया पर इस घटना की तस्वीरें वायरल हुईं तो प्रशासन ने स्वत: संज्ञान लिया और मामले की जांच के निर्देश राजनांदगांव एसडीएम को दिया गया। कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन को फटकार लगाई। कलेक्टर ने अस्पताल की व्यवस्था दुरुस्त करने की प्रबंधन को हिदायत दी।
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कथित तौर पर विकासखंड छुरिया के ग्राम बखरूटोला निवासी एक छात्रा ने शनिवार को आग लगाकर खुदकुशी कर ली थी। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराया जा सका, जिसके कारण परिजनों को हाथ ठेले पर छात्रा का शव लेकर घर जाना पड़ा।
सूत्रों के अनुसार, अस्पताल से डेढ़ किलोमीटर दूर तक ठेले पर शव लेकर निकलने के बाद प्रबंधन को होश आया और आनन-फानन में एंबुलेंस भेजा गया। अस्पताल प्रबंधन के इस रवैए से नाराज परिजनों ने सरकारी एंबुलेंस से शव ले जाने से इंकार कर दिया और वे निजी एंबुलेंस से शव लेकर गांव की ओर रवाना हुए।
हादसे के बाद क्षेत्रीय कांग्रेसी कार्यकर्ता अस्पताल अधीक्षक कक्ष के सामने धरने पर बैठ गए। कांग्रेसियों ने इसे अस्पताल प्रबंधन का गैर जिम्मेदाराना और असंवेदनशील कृत्य बताया।
मामले को त्वरित संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर भीम सिंह ने मेडिकल कॉलेज पहुंचे और मेडिकल कॉलेज के डीन के अलावा एसडीएम राजनांदगांव, पुलिस अधिकारियों तथा मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से पूरे मामले की जानकारी ली।
कलेक्टर सिंह ने एसडीएम अतुल विश्वकर्मा को पूरे मामले की जांच कर तत्काल जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने रविवार देर शाम अस्पताल प्रबंधन से जुड़े डॉक्टरों और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक ली।
सिंह ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए प्रतिदिन एक डिप्टी कलेक्टर की ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आर.के. सिंह को शव परीक्षण गृह में शव परीक्षण के लिए तत्काल दो टेबल लगाने एवं पूरे समय डॉक्टरों की तैनाती सुनिश्चित करने को कहा।