जैसलमेर। कलात्मक सुन्दरता व बारीक नक्काशी कार्य के कारण विश्व स्तरीय पहचान बना चुकी स्वर स्वर्णनगरी जैसलमेर में जग विख्यात मरु महोत्सव 2017 का आगाज बुधवार से हुआ।
दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर पहचान दिलाने वाले मरु महोत्सव का आगाज जिला कलेक्टर ने हरी झंडी दिखाकर व केसरिया, सफेद व हरे गुब्बारे उड़ाकर की। महोत्सव के आगाज के साथ अन्तर्राष्ट्रीय कलाकारों के साथ राजस्थानी लोक नृत्य शुरू हो गया।
इन सबके बीच सीमा सुरक्षा बल के अनुशासित बैंड ने भी लोगों को खासा आकर्षित किया। कालबेलिया नृत्य देखकर सैलानी व स्थानिय लोगों में उत्साह दिखा और वे कलाकारों के कला प्रदर्शन को एकटक निहारते रहे।
गोपा चौक व सोनार दुर्ग के आगे कलाकारों ने जमकर नृत्य व अपनी अनुठी कलकाओं का प्रदर्शन कर सैलानियों का दिल जीत लिया। गौरतलब है कि वर्ष 1980 के बाद ‘क्लासिक टूरिज्म’ के प्रेमी विदेशियों के पांव जैसलमेर में पडऩे शुरू हुए।
इसके बाद पर्यटकों की आवक से मरुस्थलीय जिले की तस्वीर संवरने लगी। सरकारी तंत्र ने जल्द ही जैसलमेर के पर्यटन महत्व को भांप लिया और 1979 में यहां ‘डेजर्ट फेस्टिवल’ का पहला आयोजन हुआ।
आज विश्व जगत में देशी-विदेशी सैलानियों के बीच प्रमुख ‘कार्निवाल’ के रूप में जैसलमेर पहचान बना चुका है और यह देन है विश्व विस्तरीय ख्याति अर्जित कर चुके मरु महोत्सव की।
मरु महोत्सव को देश-दुनिया में मिली ख्याति का ही यह परिणाम है कि सरहद से सटे जैसलमेर के युवाओं के लिए पर्यटन व्यवसाय रोजगार की खान साबित हुआ और गांवों का हुलिया भी बदला।
पर्यटन को पंख लगने से पाक सीमा से सटे जैसलमेर क्षेत्र की पर्यटन ने फिजा ही नहीं बदली, बल्कि हजारों हाथों को रोजगार भी मिला।