सबगुरु न्यूज। दुर्गा सप्तशती में तेरह अध्याय है जिसमें दुर्गा का शक्ति के रूप में वर्णन किया गया है। प्रथम अध्याय में मधु कैटभ असुर का वध की बात कही गई। तीसरे व चौथे अध्याय में महिषासुर का वध तथा पांचवे अध्याय से दसवें अध्याय तक शुंभ निंशुभ के वध की कहानी है।
ग्यारहवें अध्याय में देवी ने अपने प्रकट होने के अवसर पूजा विधान बताया है तथा तेरहवें अध्याय में सुरथ व समाधि को सुख सम्पत्ति संतान और राज्य दे कर अदृश्य हो गई। नवरात्रा के अवसर पर श्रद्धालु जन नियमित रूप से दुर्गा सप्तशति का पाठ करते हैं।
मधु कैटभ दोऊ मारे सुर भय हीन करे सर्व खलविदमेवाहं नान्यदसती सनातनम्
अर्थात सब कुछ मै ही हूं ओर दूसरा कोई भी सनातन नहीं है। दैवी भागवत महापुराण का उपदेश आदि शक्ति ने श्री विष्णुजी को उपरोक्त आधे श्लोक में ही दे दिया था। पालनहार श्री विष्णुजी ने इसी के माध्यम से पूरी देवी भागवत महापुराण का उपदेश ब्रह्माजी को दिया। ब्रह्माजी ने अपने मानस पुत्र नारद को दिया। नारदजी ने इस पुराण का उपदेश वेद व्यास जी को दिया।वेदव्यास जी ने पहली बार परीक्षित पुत्र जनमेजय को दिया।
राजा परीक्षित की अकाल मृत्यु होने के कारण उनकी आत्मा के मोक्ष के लिए देवी भागवत कथा का आयोजन किया। इसे अम्बायज्ञ भी कहा जाता है।देवी भागवत महापुराण में शक्ति की महिमा का गुणगान किया गया है क्योंकि वे सम्पूर्ण जगत की आधारभूता है।
भगवती आद्या की महिमा में वेद का ऋषि कहता हे देवी तू दया कर, जो सर्व चेतना स्वरूपा, आदिशक्ति तथा ब्रह्मविद्यास्वरूपिणि भगवती जगदम्बा है, उनका हम ध्यान करते हैं। वे हमारी बुद्धि को प्रेरणा प्रदान करे। सृष्टि के प्रलय काल के बाद अथाह जल के सागर में शेष नाग की शय्या पर भगवान् विष्णु गहरी नींद में सो रहे थे और सोते सोते कई साल बीत गए।
इतने साल में उनके कानों से मैल निकला और उस मैल के दो दानव बन गए मधु ओर कैटभ। वे दोनों सोचने लगे कि हमें किस ने जन्म दिया और हम जल में ही चल रहे हैं और खेल रहे हैं। इतने में आकाश से एक रोशनी प्रकट हुई और बोली मै ही आद्या शक्ति हूं, मैने ही तुम्हारी उत्पत्ति की है। अतः जप करो।
दोनों ने वर्षों तप कर देवी से ईच्छा मृत्यु का वरदान ले लिया। शय्या पर सोये हुए विष्णु जी के नाभि कमल में बैठे ब्रह्मा को उन मधु कैटभ ने ललकारा, हे ब्रह्मा तुम हमारी शरण में आ जाओ या फिर हमसे युद्ध करो।ब्रह्मा जी एकदम घबरा गए और नींद में सोते विष्णु को उठाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं उठ पाए। तब ब्रह्मा जी ने भगवती को प्रार्थना कर श्री विष्णु जी की नींद से जगा दिया। विष्णु जी ने कई बरसों तक वर्ष उन दोनों से युद्ध किया लेकिन वे जीत नहीं पाए।
आदि शक्ति ने मधु कैटभ पर मोहन शक्ति डाली और उन्हें विष्णु से मरवा दिया। काश देवी नहीं होती तो विष्णु जी युद्ध मे मधु कैटभ को नहीं मार सकते।जीवन मे कई बार ऐसा होता है कि मानव अपने आलस्य या लापरवाही के कारण अपने द्वारा की गई गलती या पाप की ओर ध्यान नहीं देता है और एक वही गलती उस के जीवन को अति विकट मोड पर खडी देती है उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। जैसे अति निद्रा के कारण श्री विष्णु के कान के मैल से मधु ओर कैटभ पैदा हो गए ओर विष्णु जी को ही जान से मारने लगे।
सौजन्य : भंवरलाल
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