दतिया। चैत्र नवरात्री महोत्सव शुक्रवार से प्रारम्भ हो गया। मां पीताम्बरा के दरबार में देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्घालुओं की भारी संख्या को देखते हुए मंदिर प्रबंधन और प्रशासन ने चौकस व्यवस्था कर श्रद्घालुओं की सुविधा और मंदिरों में दर्शन कराने की उचित व्यवस्था की है।
नवरात्र के दौरान पीठ पर आने वाले श्रद्घालू पूरे नौ दिन अनुष्ठान के साथ-साथ भजन पूजा अर्चना करते हैं। इसी प्रकार नगर के प्राचीन माता-मंदिर विजयकाली मंदिर जो बडी मातन के नाम से प्रसिद्घ है पर पूरे नौ दिन मेला लगता है।
इस मेले में घर गृहस्थी के साथ-साथ औरतों के श्रंगार, बच्चों के खिलौनों के अलावा भजन पूजन की सामग्री तथा मिष्ठान आदि की दुकानें भी पूरी तरह सजधज कर तैयार है यहां पुलिस प्रशासन पूरे नौ दिन सुरक्षा प्रबंध को लेकर चौकस रहता है।
महिला पुलिसकर्मी नगर सुरक्षा समिति के सदस्य के साथ मंदिर प्रबंधन के लोग भी माता मंदिर पर सुबह 4 बजे से आने वाले दर्शनार्थियों पर 12 बजे तक पूरी देखरेख करता है।
नगर में स्थित चिरई टोर की माता मंदिर, गुरू माता मंदिर, मढि़या के महादेव के माता मंदिर सहित नगर की बस्ती में पंचमुखी हनुमान पर माता मंदिर आदि जगह मंदिर पूरी तरह सजावट के साथ जगमगा रहे है।
शहर से पूर्व दिशा में स्थित 5 कि.मी की दूरी पर स्थित सुप्रसिद्घ खैरी माता मंदिर को श्रद्घालुओं और मंदिर प्रबंधन ने रोड से लेकर मंदिर को लाईटिंग कर ब$डे सुन्दर ढंग से सजाया है यहां भी पूरे नौ दिन ग्रामीण अंचलों से दर्शनार्थी मां के दरबार में माथा टेकने आते हैं साथ ही दतिया शहर से भी हजारों की संख्या में श्रद्घालु दर्शन करने नौ दिन पहुंचते है।
नवरात्र की सप्तमी के दिन खैरी माता मंदिर पर भद्रकाली के दर्शन हेतु भारी संख्या में श्रद्घालु पहुंचते हे और नवमी के दिन विशाल कन्या भोज तथा भण्डारा का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में कन्याओं को भोजन कराया जाता है।
मध्यरात्रि से प्रथम दिन की शुरूआत
अंग्रेजी कलेण्डर के मुताबिक पूरे विश्व में नववर्ष का जश्न दिसम्बर के अंतिम दिन की मध्य रात्रि को शराब, शवाब एवं मौज मस्ती कर स्वागत किया जाता है पर हिन्दू पंचांग के मुताबिक भारतवर्ष में नव वर्ष की शुरूआत चैत्र की अमावस्या की मध्य रात्रि से मनाया जाता है इस नव वर्ष के मनाने की तैयारी पूरे परिवार के साथ की जाती है।
इस नव वर्ष में खास बात यह रहती है कि इससे बच्चों में काफी उत्सुकता देखने को मिलती है उनका उत्सुकता का कारण यह है कि नव वर्ष को संम्वतसर के तौर पर भी मनाया जाता जिसके कारण बच्चों को नये वस्त्र पहने को मिलते है नए वस्त्र पहनकर बच्चों को खुशी की लहरे दौड़ती है तो वही पर महिलाएं नवरात्रि के पूजा पाठ को लेकर तैयारी शुरू कर देती हैं।
नव रात्रि के प्रथम दिन से महिलाओं बच्चे एवं पुरूष पूजा पाठ शुरू कर देते हैं जिसकी वजह से मन्दिरों में आम दिनों की अपेक्षा इन खास दिनों में चहल पहल बढ जाती है।
एक साथ तीन त्यौहारों का करते है स्वागत
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र अमावस्या की मध्य रात्रि से एक नहीं तीन त्योंहारों का आगमन होता है और उन तीनों त्यौहारों का स्वागत हिन्दू संस्कृति मानने वाले हिन्दू रीतिरिवाज के अनुसार बड़ी सादगी के साथ मनाते है क्योंकि इस दिन नए साल का आगमन होता है तो वहीं सम्वतसर का स्वरूप लेकर आता है तथा तीसरा त्यौहार नवरात्रि के प्रांरभ भी इसी दिन से होता है।