भोपाल/इंदौर। शुक्रवार से चार माह के लिए भगवान विष्णु शयन पर चले जाएंगे। ऐसी मान्यता है कि इन चार माह में सृष्टि का भार शिव के पास रहेगा और भगवान विष्णु के साथ ही भोलेनाथ की भी जमकर आराधना की जाएगी।
साथ ही चार महीनों तक शुभ कार्य व मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा तथा तीज-त्यौहारों की जमकर धूम रहेगी। 11 नवंबर को देवउठनी ग्यारस के बाद से मांगलिक व शुभ कार्यों का प्रारंभ होगा।
शुक्रवार को देवशयनी एकादशी पर सुबह से ही शहर के विभिन्न मंदिरों में भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना व दान-पुण्य किया गया। पंडितों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए भगवान विष्णु शयन पर जाते है और इस दौरान सृष्टि का भार भगवान शिव के पास सौंप देते है।
उज्जैन स्थित रामघाट पर शुक्रवार शाम को परंपरा के अनुसार विद्वानों द्वारा भगवान विष्णु के शयन पर जाने के पश्चात भोलेनाथ को सृष्टि का प्रभार सौंपने की रस्म निभाई जाएगी। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी उमड़ेंगे। चार महीने बाद 11 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान जागेंगे तब तक मांगलिक व शुभ कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा।
इस दौरान केवल धार्मिक अनुष्ठान व तीज-त्यौहारों की जमकर धूम रहेगी। नागपंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, डोल ग्यारस, अनंत चतुर्दशी, शारदीय नवरात्र, दशहरा, दीपावली सहित विभिन्न तीज-त्यौहार भी आएंगे और साधु-संतों द्वारा एक ही स्थान पर रूककर प्रवचनों की गंगा बहाई जाएगी।