जोधपुर। राजस्थान के पुलिस महानिदेशक मनोज भट्ट सोमवार को एक मामले की सुनवाई के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में पेश हुए। उन्होंने मामले में पुलिस की तरफ से स्पष्टीकरण पेश किया लेकिन हाईकोर्ट इस स्पष्टीकरण पर संतुष्ठ नहीं हुआ।
एनडीपीएस एक्ट के आरोपी महेंद्रसिंह की ओर से दायर जमानत याचिका की सुनवाई के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने डीजीपी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए थे। इस आदेश की पालना में डीजीपी मनोज भट्ट सुबह जस्टिस संदीप मेहता की अदालत में पेश हुए।
उन्होंने अदालत में पुलिस की तरफ से स्पष्टीकरण पेश किया लेकिन जस्टिस मेहता ने इस पर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि लंबा समय गुजर जाने के बाद भी मामले में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि महेंद्रसिंह करीब पांच सालों से जेल में बंद है। उसने जमानत याचिका लगाई थी लेकिन वह खारिज हो गई। इससे पहले पुलिस महानिदेशक मनोज भट्ट को सुबह पुलिस के ऑफिसर मैस में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
इस अवसर पर पुलिस आयुक्त अशोक कुमार राठौड़ सहित सभी पुलिस उपायुक्त व अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। डीजीपी ने उनसे शहर की क्राइम व्यवस्था पर अनौपचारिक बातचीत भी की।
शिक्षकों ने सौंपा ज्ञापन
राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ ने नियम विरूद्ध की गई पदोन्नतियों के संबंध में डीजीपी को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में संघ के प्रदेशाध्यक्ष पूनमचंद व्यास ने बताया कि नियम विरूद्ध गलत तरीके से की गई मंत्रालयिक कर्मचारियों की पदोन्नतियों को रिव्यू नहीं करने से अधिकांश कार्मिक अपने अधिकारों से वङ्क्षचत होकर रिटायर्ड हो चुके है। ज्ञापन में ऐसी पदोन्नतियों को निरस्त करते हुए जांच की मांग की गई है।