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धनतेरस : शुभमुहूर्त पर राशि के अनुसार करें खरीदारी - Sabguru News
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धनतेरस : शुभमुहूर्त पर राशि के अनुसार करें खरीदारी

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धनतेरस : शुभमुहूर्त पर राशि के अनुसार करें खरीदारी

सबगुरु न्यूज। धन की प्रभुता के चलते ज्ञानलक्ष्मी और मोक्षलक्ष्मी का पर्व धनतेरस अब धन की देवी समझे जानी वाली लक्ष्मी पूजा का पर्व बन गया है। दीपावली से ठीक पहले मनाया जाने वाला धनतेरस का दिन यूं तो पूरे दिन खरीदारी के लिए शुभ है, मगर शाम 7:22 बजे से रात 9:18 मिनट तक खरीदारी का सबसे अच्छा मुहूर्त है।

पंडितों की माने तो इस दौरान धूम्र योग एवं पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र का शुभ संयोग है। शाम के बाद वृष लग्न है, जो खरीदारी के लिए शुभ है।

मंगलवार के दिन सूर्यास्त होने से दो घंटे पूर्व प्रदोष व्यापिनी होने से त्रियोदशी तिथि लग रही है। इसमें भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। दोपहर 2:46 बजे से शाम 4:17 बजे तक कुंभ लग्न में खरीदारी शुभ है।

कार्तिक त्रयोदशी को प्रादुर्भाव होने पर धनतेरस मनाई जाती है। धनतेरस से 11 दिन बाद भगवान नारायण एकादशी के दिन निद्रा से जागते हैं। मान्यता है कि इस दिन कोई भी धातु के समान खरीदने से उसमें तेरह गुणा की वृद्धि होती है।

इस बार राशि के अनुसार करें खरीदारी

मेष – सोना, पीतल, स्टील बर्तन

वृष – चांदी, स्टील बर्तन, शृंगार प्रसाधन

मिथुन – सोना, तांबा, लक्ष्मी गणेश की कांसे की प्रतिमा

कर्क – चांदी के बर्तन, सिक्के, स्टील के बर्तन

सिंह – सोना, कांसा

कन्या – सोना, पीतल, गणेश की प्रतिमा

तुला – हीरे के अंगूठी, चांदी की सामग्री

वृश्चिक – सोना, तांबा, वाहन

धनु – सोना, पीतल, कांसे की प्रतिमा

मकर कुंभ – लोहा, स्टील के समान

मीन – सोना, पीतल

धनतेरस पर खरीदारी के शुभ मुहूर्त

स्थिर वृष लग्न – शाम 7:22 बजे से रात 9:18 मिनट तक

प्रदोष काल मुहूर्त – शाम 5:45 से रात 8:17 बजे तक

कुंभ लग्न – दोपहर 2:46 बजे से शाम 4:17 बजे तक

इस तरह करें धनतेरस की पूजा

इस दिन धन्वंतरि जी का पूजन करें।

नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें।

शाम को दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें।

मंदिर, गौशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।

यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं।

हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।

कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआं, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएं।

कुबेर पूजन करें। शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गादी बिछाएं अथवा पुरानी गादी को ही साफ कर पुनः स्थापित करें। पश्चात नवीन वस्त्र बिछाएं।

शाम के बाद थोडा अंधेरा पडने पर तेरह दीपक प्रज्वलित कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करें।

निम्न ध्यान मंत्र बोलकर भगवान कुबेर पर फूल चढ़ाएं

श्रेष्ठ विमान पर विराजमान, गरुड़मणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा एवं वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत तुंदिल शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र निधीश्वर कुबेर का मैं ध्यान करता हूं।

इसके पश्चात निम्न मंत्र द्वारा चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें

‘यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।’

इसके पश्चात कपूर से आरती उतारकर मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करें।

यम के निमित्त दीपदान करें।

तेरस की शाम को किसी पात्र में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें।

पश्चात गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यम से निम्न प्रार्थना करें-

‘मृत्युना दंडपाशाभ्याम्‌ कालेन श्यामया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात्‌ सूर्यजः प्रयतां मम।

अब उन दीपकों से यम की प्रसन्नता के लिए सार्वजनिक स्थलों को प्रकाशित करें।