नई दिल्ली। कांग्रेस ने हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में भूमि की खरीद-फरोख्त के कई मामलों की जांच के लिए गठित ढींगरा आयोग की रिपोर्ट को ‘राजनीतिक बदले की कार्रवाई’ कहा है।
हरियाणा में भाजपा ने सत्ता में आने के बाद राज्य में भूमि की खरीद-फरोख्त के मामलों की जांच के लिए ढींगरा आयोग गठित की थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी भी शामिल है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों से कहा कि यह चाहे जो भी आयोग हो, यह सबसे निचले दर्जे की राजनीतिक बदले की कार्रवाई है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इतने लंबे समय तक सत्ता में रहते हुए कभी अपनी विपक्षी भारतीय जनता पार्टी को आर्थिक मदद देने वालों को परेशान नहीं किया।
आजाद ने कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक सत्ता संभाली है। और हमें पता है कि कौन से कारोबारी या उद्योग समूह भाजपा को आर्थिक मदद देते हैं। लेकिन कांग्रेस सरकार ने पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय से ही कभी भी भाजपा को आर्थिक मदद देने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार द्वारा मई, 2015 में गठित न्यायाधीश एसएन ढींगरा वाली एक सदस्यीय आयोग ने पिछले वर्ष 31 अगस्त को अपनी 182 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंप दी।
कांग्रेस ने ढींगरा आयोग की इस रिपोर्ट को अमान्य भी करार दिया है, क्योंकि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और वाड्रा को आयोग की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला।
ईकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट में ढींगरा आयोग से जुड़े एक अज्ञात व्यक्ति के हवाले से कहा गया है कि वाड्रा ने बिना एक भी पैसा खर्च किए 2008 में हुई भूमि की खरीद फरोख्त से 50 करोड़ रुपये से अधिक का अवैध लाभ अर्जित किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ढींगरा आयोग ने स्काईलाइट और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के बीच तथा स्काईलाइट और डीएलएफ के बीच हुए भूमि सौदों की जांच की।