भोपाल। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने जिस उत्साह और भारी तामझाम के साथ महत्वाकांक्षी योजना 100 लगाओ पुलिस बुलाओ (डायल-100) योजना की शुरुआत की थी, पुलिसकर्मियों के रवैए और स्टॉफ की कमी के कारण उसकी शुरुआती दौर में हवा निकल गई है।
हालांकि, अभी यह प्रदेश के कुछ ही जिलों में शुरू हो पाई है और जनवरी तक पूरे प्रदेश में इसे लागू करने की तैयारी है, लेकिन अभी तक जो सामने आया है, उसे देखकर नागरिकों को निराशा ही हाथ लगी है।
गृह मंत्री बाबू लाल गौर ने बड़े उत्साह के साथ इस योजना को शुरू किया था और दावा किया था कि 100 डायल करने पर पांच मिनट में पुलिस घटना स्थल पर पहुंचेगी, लेकिन कुछ मामलों में तो आधे घंटे के बाद भी पुलिस मौके पर नहीं पहुंच पाई है। वहीं, पुलिस का रवैया भी लोगों के साथ ठीक नहीं है।
राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के जिन जिलों में यह योजना शुरू हुई है, वहां सड़कों पर डायल 100 की पुलिस वैन तो दौड़ती हुई नजर आती हैं, लेकिन घटनास्थल पर पुलिस को पहुंचने में अब भी उतना ही समय लगता है, जितना पहले लगता था।
राज्य शासन ने करोड़ों रुपए खर्च कर यह योजना शुरू की है, लेकिन इससे नागरिकों को कोई लाभ अभी तक तो नहीं मिला है। भविष्य में इससे किसे फायदा होगा, यह बात अभी नहीं कही जा सकती, लेकिन पुलिसबल की कमी को दूर करने के साथ ही कर्मियों के व्यवहार को बदला बेहद जरूरी है, तभी इस योजना का उद्देश्य पूरा हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि डायल 100 योजना के लिए हर वाहन पर 6 प्रशिक्षित पुलिसकर्मी का होना अनिवार्य है। इसके लिए भारी संख्या में पुलिसबल की जरूरत होगी, लेकिन फिलहाल प्रदेश का पुलिस विभाग संख्याबल की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में इस योजना को सफल होना संदिग्ध है।
जानकारी मिली है कि पुलिस ने छह हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा है तथा एक हजार थानों में डायल-100 वाहन की जरूरत बताई गई है। अगर इस प्रस्ताव पर जल्द अमल होगा, तभी योजना सही दिशा में आगे बढ़ पाएगी और जनवरी तक पूरे प्रदेश में इसे लागू किया जा सकेगा।
फिलहाल तो स्थिति यह है कि अभी तो वाहन ही पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं और उनमें स्टाफ की भी कमी है। इसीलिए थाने में उपलब्ध पुलिसकर्मियों को ही डायल 100 योजना में काम करना पड़ता है, जिससे अन्य मामले प्रेंडिंग होते जा रहे हैं। इस समस्या से निपटना पुलिस विभाग के सामने एक चुनौती बन गई है।