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Diamond Jewelry come in market from China, Diamond buyers are wary
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बाजार में मौजूद चीन से आई डायमण्ड ज्वेलरी, हीरा खरीददार रहें सावधान

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बाजार में मौजूद चीन से आई डायमण्ड ज्वेलरी, हीरा खरीददार रहें सावधान
Diamond Jewelry come in market from China, Diamond buyers are wary
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कानपुर। दर्जनों उत्पादों के बाद अब चीन ने भारतीय बाजार में सीवीडी तकनीक का हीरा भी उतार दिया है। जो दिखने में हूबहू असली हीरे जैसा दिखता है। जिससे ग्राहक ही नहीं अच्छा से अच्छा जौहरी भी गच्चा खा जाता है। हालांकि उसकी कीमत पर असर नहीं पड़ रहा है।

भारतीय ज्वेलरी में पिछले दो सालों से डायमण्ड का बाजार 30 से बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया है। डायमण्ड की बढ़ती मांग को देखते हुए चीन ने नकली हीरा भारतीय बाजार में उतार दिया। यह असली हीरे के मुकाबले 40 से 50 प्रतिशत तक सस्ते हैं। लेकिन देखने में यह असली हीरों जैसे दिख रहें है।

चाइनीज हीरे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसको पहचानने में ग्राहक तो दूर अच्छा से अच्छा जौहरी गच्चा खा जाता है। इसकी खूबसूरती ग्राहकों को अनायास अपने तरफ खींच रही है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि अगर बुरे वक्त में कभी इसको बेचना चाहो तो इसकी कोई कीमत नहीं मिलने वाली है।

काशी ज्वैलर्स ने बताया कि चाइनीज हीरे के बाजार में आने से लोग असली हीरे को लेना कम पसंद करते हैं। कहा कि कानपुर उत्तर प्रदेश में हीरे का बड़ा बाजार है। यहां पर प्रदेश ही नहीं दूसरे प्रदेशों के लोग हीरा खरीदने आते है।

लगभग पांच सौ करोड़ का सालाना कारोबार है। लेकिन चाइनीज हीरे के आने से कारोबार में एक चैथाई की कमी आई है। हालांकि असली हीरे की कीमत पर असर नहीं पड़ रहा है।

हीरा खरीददार निधि अग्रवाल ने बताया कि ज्वैलर्स से इण्टरनेशनल जेमोलॉजिकल इन्स्टीट्यूट द्वारा जारी सर्टिफिकेट की मांग करनी चाहिए। अगर हीरा असली है तो इसके विवरण में नेचुरल डायमण्ड लिखा होगा।

डायमण्ड स्पेशलिस्ट श्रेयांश कपूर ने बताया कि खदानों से निकलने वाले असली हीरे के बनने में दस लाख साल तक लग जाते हैं। लेकिन चीन सीवीडी तकनीक से हीरे का निर्माण सिर्फ सौ घण्टे में कर लेता है।

हालांकि यह तकनीक सबसे पहले जर्मनी के फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट ने विकसित की थी, लेकिन वृहद उत्पादन और मार्केटिंग के मामले में बाजी मारी चीन ने। बताया कि दुनिया के मुल्कों में चीन हर रोज 10 हजार से अधिक नकली हीरे खपा रहा है। इसका एक बड़ा हिस्सा भारत में भी पहुंच रहा है।