नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य के खिलाफ मानहानि के एक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय को सोमवार को बताया गया कि केजरीवाल ने अपने वकील राम जेठमलानी को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने का निर्देश नहीं दिया था।
केजरीवाल ने एक शपथ-पत्र पेश कर उच्च न्यायालय से कहा कि ससम्मान यह अवगत कराया जाता है कि न तो केजरीवाल ने और न ही वरिष्ठ वकील जेठमलानी के सहायक वकीलों ने उन्हें 17 मई, 2017 की सुनवाई के दौरान आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया था।
यहां तक कि केजरीवाल ने जेठमलानी को एक पत्र लिखकर अपना वह दावा वापस लेने के लिए कहा है, जिसमें जेठमलानी ने अदालत को बताया था कि उन्होंने 17 मई को संयुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष सुनवाई के दौरान केजरीवाल के निर्देश पर आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया था।
जेठमलानी ने 17 मई की सुनवाई के दौरान जेटली के लिए ‘धोखेबाज’ शब्द का इस्तेमाल किया था। जेटली ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) मामले में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के पांच अन्य नेताओं के खिलाफ 10 करोड़ रुपये का मानहानि का दावा किया है।
सोमवार को केजरीवाल ने ऐसे समय में यह शपथ-पत्र दाखिल किया है, जब जेटली ने मामले में गवाहों की रिकॉर्डिग निष्पक्ष और व्यवस्थित तरीके से तेजी से करने के लिए आवेदन डाला है।
जेटली ने अपने आवेदन में कहा है कि केजरीवाल के निर्देश पर जेटली से जिरह के दौरान ढेरों असंगत एवं अपमानपूर्ण सवाल पूछे गए तथा अपमानजनक एवं मानहानि वाले बयान दिए गए।
जेटली ने दिसंबर, 2015 को केजरीवाल के अलावा आप नेताओं कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह, राघव चड्ढा और दीपक वाजपेयी के खिलाफ डीडीसीए भ्रष्टाचार मामले में झूठे और अपमानजनक बयान देने के लिए मानहानि का मुकदमा किया है।
मामले की सुनवाई के दौरान जेठमलानी द्वारा जेटली के लिए ‘धोखेबाज’ शब्द का इस्तेमाल करने के बाद जेटली ने केजरीवाल के खिलाफ 10 करोड़ रुपए का एक और मानहानि का दावा कर दिया।