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district adminitration issues notice to nhai for restoration of road
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सिरोहीः प्रशासन ने NHAI पर की यह कार्रवाई, आखिर क्यों समस्या देती है यह सुरंग

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सिरोहीः प्रशासन ने NHAI पर की यह कार्रवाई, आखिर क्यों समस्या देती है यह सुरंग
restoration of road near tunnel on national highway 62 in sirohi
restoration of road near tunnel on national highway 62 in sirohi

सबगुरु न्यूज सिरोही। दो साल में फिर से नेशनल हाइवे संख्या 62 के सिरोही के बाहरी घाटे से निकलने वाली पिण्डवाडा-ब्यावर फोरलेन के सेक्शन की सुरंग में समस्या आ गई है। यहां सुरंग के बाहर की सडक बह गई है वहीं सुरंग से भी पानी की धार बह रही है।

इससे नेशनल हाइवे संख्या 62 के बाहरी घाटे सेक्शन पर यातायात बंद हो गया है। जिला प्रशासन ने इसके लिए एक बार फिर एनएचएआई को सीआरपीसी की धारा 133 के तहत नोटिस जारी किया है।

सिरोही में 96 घंटे की लगातार बारिश के बाद सोमवार को ही नेशनल हाइवे संख्या 62 पर सडक टूटने लगी और रात्रि तक इसका एक हिस्सा पूरी तरह से बह गया। इससे सुरंग से पहले यातायात रोक देना पडा। वाहनों को बाहरी घाटे वाले पुराने रास्ते से आबूरोड की ओर भेजा गया।

जिला कलक्टर संदेश नायक ने सबगुरु न्यूज को बातया कि इसे दुरुस्त करने के लिए एनएचएआई से बार-बार संपर्क किया गया, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला। इस पर एनएचएआई के पीडी को 133 के तहत नोटिस जारी किया गया है। इसके बाद उन्होंने जवाब दिया कि वह गुरुवार तक इस रास्ते को बहाल कर देंगे।

टोल रोकने से तत्कालीन कलक्टर को बडे राजनीतिक दबाव से भी गुजरना पडा था। ऐसे में टोल शुरू करने की अनुमति देते हुए केस तत्कालीन जिला कलक्टर ने पेंडिंग ही रखा था। वर्तमान जिला कलक्टर संदेश नायक ने बताया कि सीआरपीसी 133 के केस के इतने समय तक पेंडिग नहंी रहने के कारण हाल ही में इस केस को डिस्पोज किया था।

सुरंग में भी समस्या

बाहरी घाटा सेक्शन में करीब एक किलोमीटर तक पहाडियों के कारण बारिश के बाद रविवार से ही करीब पचास से ज्यादा छोटे बडे झरने चल रहे हैं। यह झरने सडक के किनारे भी उतर रहे हैं, लेकिन सडक के बहने के पीछे की प्रमुख वजह इसकी निर्माण में छोडी गई खामियां बताई जा रही है।

इसी कारण 2015 में तत्कालीन जिला कलक्टर वी सरवन कुमार ने इसकी कारपेटिंग की क्वालिटी की आईआईटी से जांच करवाकर देने के निर्देश देते हुए इस मार्ग पर उथमण टोल नाके पर टोल वसूली बंद कर दी थी। एनएचएआई के इंडिपेंडेंट इंजीनियर्स को भी इस सेक्शन में कई खामियां मिली थी। वैसे सुरंग में गिरते पानी के पीछे प्रमुख वजह उपरी स्तर के भ्रष्टाचार को भी कहा जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार एनएचएआई की सुरंगों की डिजायन का आईआरसी कोड इंजीनियर्स तैयार किया करते थे। बाद में इसका आईआरसी कोड ठेकेदार कंपनियों से ही तैयार करवाने की छूट दी गई। ब्यावर-पिण्डवाडा हाइवे सेक्शन में बनी सुरंग का निर्माण भी ठेकेदार कंपनियों के आईआरसी कोड के अनुसार किया गया।

इस कोड में पैसा बचाने के लिए यह प्रावधान किया गया कि तीन सौ मीटर से कम लम्बाई वाली सुरंगों में इंटरनल वाल की पलास्टरिंग नहीं की जाएगी। बाहरी घाटे की दोनों तरफ की सुरंगों को घुमा फिराकर 296 मीटर से लम्बा नहीं होने दिया गया। जिससे ठेकेदार कम्पनी को इसकी इंटरनल वाॅल पर पलास्टरिंग करने से छूट मिल गई। अब यही कोड बारिश में यातायात के लिए समस्या बनता है।