मैसुर/नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन राव भागवत ने कहा कि पृथक पूजा पद्वति, पहनावे या अलग परम्परा के आधार पर किसी पर अत्याचार या भेद भाव नहीं होना चाहिए । उन्होंने कहा कि देश की विभिन्नता का जश्न मनाया जाना चाहिए ।
भागवत आज यहां पांचवें “इंटरनेशनल कांफ्रेंस एंड गैदरिंग ऑफ एल्डर्स” को संबोधित करते हुए कहा कि विविधता का जश्न मनाया जाना चाहिए और इसका विरोध नहीं होना चाहिए । सम्मेलन का आयोजन अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र ने किया था।
भागवत ने कहा कि किसी पर भी अत्याचार और उसका विरोध इस आधार पर नहीं होना चाहिए कि वह अलग वस्त्र पहनता है या उसकी पूजा की पद्धति अलग है या उसकी परम्पराएं अलग हैं । इन सभी को एक साथ रहना चाहिए और उस सबको साथ लेकर चलने का मार्ग तलाशना चाहिए ।
संघ प्रमुख ने कहा कि दुनिया एक ढांचा है न कि अलग अलग हिस्सा और इसलिए अच्छाई वैश्विक है और हर किसी को हर किसी का ध्यान रखना चाहिए । विविधता में साथ रहना किसी अनुबंध पर आधारित नहीं होना चाहिए बल्कि स्वीकार्यता के आधार पर होना चाहिए हालांकि जीवन का आधुनिक विचार सहिष्णुता की बात कहता है ।
जीवन का आधुनिक सिद्धांत बताता है कि हमें एक दूसरे के प्रति सहिष्णु होना चाहिए । लेकिन हमारी प्राचीन परम्पराएं अपने वृहद् अनुभव से बताती हैं कि हमें एक दूसरे को स्वीकार करना चाहिए न कि बर्दाश्त करना चाहिए ।