सहरसा/ नई दिल्ली। पाकिस्तान से आई भारत की बेटी गीता के परिवार की नहीं पहचान हो पाई है. गीता के पिता होने का दावा करने वाले जनार्दन महतो से गीता का डीएनए मैच नहीं हुआ।
14 साल बाद पाकिस्तान से भारत लौटी गीता का डीएनए महतो परिवार के सदस्यों से मैच नहीं हुआ।. बिहार के सहरसा निवासी जनार्दन महतो ने गीता को अपनी बेटी बताया था। अब डीएनए रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि गीता महतो परिवार की बेटी नहीं है। गीता न बोल सकती है और न ही सुन सकती है।
इससे पहले गीता ने भी पाकिस्तान से आने के बाद महतो परिवार को पहचानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद गीता को इंदौर स्थित मूक-बधिर संगठन के गुमाश्ता नगर स्थित आवासीय परिसर में रहने के लिए भेज दिया गया।
सुषमा स्वराज ने कहा था कि गीता का डीएनए मैच करने के बाद उस पर दावा करने वाले परिवार के सुपुर्द कर दिया जाएगा। अब डीएनए मैच न करने पर गीता को कहां रखा जाएगा, यह बड़ा सवाल है।
आपको बता दें कि गीता 7-8 साल की उम्र में पाकिस्तानी रेंजर्स को समझौता एक्सप्रेस में लाहौर रेलवे स्टेशन पर मिली थी। उसे ईधी फाउंडेशन की बिलकिस ईधी ने गोद लिया और अपने साथ कराची में रखा था। पाकिस्तान में एक दशक से ज्यादा वक्त गुजारने के बाद गीता 26 अक्टूबर को भारत लौटी। केंद्र सरकार उसके परिवार का पता लगाने की कोशिश कर रही है।