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मौसम हो गर्मियों का तो ना करें इन बातों को नजरअंदाज - Sabguru News
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मौसम हो गर्मियों का तो ना करें इन बातों को नजरअंदाज

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मौसम हो गर्मियों का तो ना करें इन बातों को नजरअंदाज
Do not neglect these things in the summer
Do not neglect these things in the summer
Do not neglect these things in the summer

लो आ गई गर्मी, ‘ग्रीष्म ऋतु’ अब ज्यादा तापमान बढेगा। ऐसे में गर्मी के डर से हम अपना काम भी तो नहीं छोड़ सकते, गर्मी के चलते हमें कही अनेक प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता हैं।

जरा सी लापरवाही के कारण शरीर में निर्जलीकरण (dehydration), लू लगना, चक्कर आना घबराहट होना, नकसीर आना, उलटी-दस्त, sun-burn, घमोरिया जैसी कई diseases हो जाती हैं।

हमें गर्मी में जलीय, शीत गुणयुक्त सुपाच्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। हम आज आप को गर्मी से बचने के लिए टिप्स बताने जा रहे हैं जिन्हें नजरअंदाज न करें।

गर्मी से होने वाली बीमारियों कारण:-

  • गर्मी के दिनों में खुले शरीर धुप में चलना और भाग-दौड करना
  • तेज गर्मी में घर से खाली पेट यानि भूखा-प्यासा बाहर जाना
  • धुप से आकर तुरंत ठण्डा पानी या अन्य ठन्डे पेय का सेवन करना
  • तेज धुप से आकर सीधे AC कूलर में बैठना या यहाँ से सीधे उठकर धुप में जाना
  • तेज गर्मी में भी सिंथेटिक वस्त्रों का पहनना
  • तैलीय,गरिष्ठ,तेज मसाले,बहुत गर्म खाना खाने,अधिक चाय,शराब का सेवन करना इत्यादी

गर्मी स्वाभाविक उत्पन्न होने वाली कमजोरी, बेचैनी आदि परेशानियों से बचने के लिए ताजगी देने वाले कुछ प्रयोग:-

धनिया पंचकः धनिया, जीरा व सौंफ समभाग मिलाकर कूट लें। इस मिश्रण में दुगनी मात्रा में काली द्राक्ष व मिश्री मिलाकर रखें।

उपयोगः एक चम्मच मिश्रण 200 मि.ली. पानी में भिगोकर रख दें। दो घंटे बाद हाथ से मसलकर छान लें और सेवन करें। इससे आंतरिक गर्मी, हाथ-पैर के तलुवों तथा आँखों की जलन, मूत्रदाह, अम्लपित्त, पित्तजनित शिरःशूल आदि से राहत मिलती है। गुलकंद का उपयोग करने से भी आँखों की जलन, पित्त व गर्मी से रक्षा होती है।

ठंडाईः जीरा व सौंफ दो-दो चम्मच, चार चम्मच खसखस, चार चम्मच तरबूज के बीज, 15-20 काली मिर्च व 20-25 बादाम रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह बादाम के छिलके उतारकर सब पदार्थ खूब अच्छे से पीस लें। एक किलो मिश्री अथवा चीनी में चार लीटर पानी मिलाकर उबालें। एक उबाल आने पर थोड़ा-सा दूध मिलाकर ऊपर का मैल निकाल दें। अब पिसा हुआ मिश्रण, एक कटोरी गुलाब की पत्तियाँ तथा 10-15 इलायची का चूर्ण चाशनी में मिलाकर धीमी आँच पर उबालें। चाशनी तीन तार की बन जाने पर मिश्रण को छान लें, फिर ठंडा करके काँच की शीशी में भरकर रखें।

उपयोगः ठंडे दूध अथवा पानी में मिलाकर दिन में या शाम को इसका सेवन कर सकते हैं। यह सुवासित होने के साथ-साथ पौष्टिक भी हैं। इससे शरीर की अतिरिक्त गर्मी नष्ट होती है, मस्तिष्क शांत होता है, नींद भी अच्छी आती है।

आम का पनाः कच्चे आम को पानी में उबालें। ठंडा होने के बाद उसे ठंडे पानी में मसल कर रस बनायें। इस रस में स्वाद के अनुसार गुड़, जीरा, पुदीना, नमक आदि मिलाकर खासकर दोपहर के समय इसका सेवन करें। गर्मियों में स्वास्थ्य-रक्षा हेतु अपने देश का यह एक पारम्परिक नुस्खा है। इसके सेवन से लू लगने का भय नहीं रहता ।

गुलाब शरबतः डेढ़ कि.ग्रा. चीनी में देशी गुलाब के 100 ग्राम फूल मसलकर शरबत बनाया जाय तो वह बाजारू शरबतों से पचासों गुना हितकारी है। सेक्रीन, रासायनिक रंगों और विज्ञापन से बाजारू शरबत महंगे हो जाते हैं। आप घर पर ही यह शरबत बनायें। यह आँखों व पैरो की जलन तथा गर्मी का शमन करता है। पीपल के पेड़ की डालियाँ, पत्ते, फल मिलें तो उन्हें भी काट-कूट के शरबत में उबाल लें। उनका शीतलतादायी गुण भी लाभकारी होगा।

गर्मी से होने वाली बीमारियां :- 

घमौरियां और रैशेज :- गर्मी में पसीना निकलने से स्किन में ज्यादा मॉइस्चर रहता है , जिसमें कीटाणु ( माइक्रोब्स ) आसानी से पनपते हैं। इस दौरान ज्यादा काम करने से स्वेट ग्लैंड्स ( पसीने की ग्रंथियां ) ब्लॉक हो जाते हैं और पसीना स्किन की अंदरूनी परत के अंदर जमा रह जाता है। यह रैशेज और घमौरियों का रूप ले लेता है।
घमौरियां और रैशेज होने पर स्किन लाल पड़ जाती है और उसमें खुजली व जलन होती है। रैशेज से स्किन में दरारें – सी नजर आती हैं और स्किन सख्त हो जाती है , वहीं घमौरियों में लाल – लाल दाने निकल आते हैं। बच्चों में बुखार के दौरान आमतौर पर दानेवाली घमौरियां निकलती हैं। इसके लिए किसी दवा की जरूरत नहीं होती।
क्या करें : मोटे और सिंथेटिक कपड़ों की बजाय खुले , हल्के और हवादार कपड़े पहनें। ऐसे कपड़े न पहनें , जिनमें रंग निकलता हो। ध्यान रहे कि कपड़े धोते हुए उनमें साबुन न रहने पाए। खूब पानी पीएं। हवादार और ठंडी जगह में रहें। घमौरियों वाले हिस्से की दिन में एक – दो बार बर्फ से सिकाई करें ! खुजली ज्यादा है तो डॉक्टर की सलाह पर खुजली की दवा ले सकते हैं।
सनबर्न और टैनिंग :- गर्मी में अक्सर लोगों को सनबर्न ( स्किन का झुलसना ) और टैनिंग ( स्किन का रंग गहरा होना ) हो जाती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक टैनिंग खराब चीज नहीं है इसलिए उसके लिए किसी तरह का उपाय करने की जरूरत नहीं है। लेकिन सनबर्न और पिग्मेंटेशन ( जगह – जगह धब्बे पड़ना ) होने पर स्किन में जलन और खुजली होती है। जो लोग सनबर्न होने के बाद भी धूप में घूमते रहते हैं , अगर वे पानी न पिएं तो उन्हें हीट स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्या करें : एसपीएफ 30 तक का नॉन – ऑइली सनस्क्रीन लगाएं। ढीले , पूरी बाजू के , हल्के रंग के कॉटन के कपड़े पहनें। बाहर जाते हुए छाते का इस्तेमाल जरूर करें। सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे तक धूप में निकलने से बचें। बाहर निकलें तो काले रंग की छतरी लेकर जाएं। खूब पानी पिएं।
ज्यादा खुजली हो तो डॉक्टर ऐंटि – अलर्जिक गोली सिट्रिजिन (Cetirizine) खाने की सलाह देते हैं। यह भी जेनरिक नाम है। जब तक सनबर्न ठीक न हो , धूप से बचें।
घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं। :- आधा कप दही में आधा नीबू निचोड़ कर अच्छी तरह मिला लें। फ्रिज में रख लें और रात को सोने से पहले क्रीम की तरह लगा लें। पांच मिनट बाद इसके ऊपर से हल्का मॉइस्चराइजर भी लगा सकते हैं। राहत मिलेगी। मुल्तानी मिट्टी में गुलाब जल मिलाकर भी लगा सकते हैं।
शरीर में बदबू :- पसीने में मॉइस्चर की वजह से गर्मियों में हमारे शरीर में बदबू आने लगती है। शरीर में मौजूद बैक्टीरिया हाइड्रोजन सल्फाइड बनाने लगते हैं , जिससे बदबू या पीलापन पैदा होता है।
क्या करें : लहसुन – प्याज आदि का इस्तेमाल कम करें। दिन में दो – तीन बार पानी में नीबू डालकर नहाएं। बॉडी पर बर्फ लगा सकते हैं, जिससे पसीना कम निकलेगा। रोजाना साफ अंडरगार्मेंट और जुराबें पहनें। डियो या परफ्यूम इस्तेमाल करें।
दिन में दो बार फिटकरी को हल्का गीला कर बॉडी फोल्ड्स में लगा लें। इससे पसीना कम आता है , लेकिन इसे जोर से रगड़े नहीं, वरना स्किन कट जाएगी। इससे पसीना कम आएगा और बैक्टीरिया भी कम पनपेंगे।
नुकीले दाने :- गर्मी में आमतौर पर नुकीले या तीखे दाने निकलते हैं। वाइटहेड , ब्लैकहेड के अलावा पस वाले दाने भी हो सकते हैं। फोड़े – फुंसी और बाल तोड़ भी हो सकते हैं। बाल तोड़ शुगर के मरीजों में काफी होते हैं। असल में , जब कीटाणु स्किन के नीचे पहुंच जाते हैं और पस बनाना शुरू कर देते हैं तो यह समस्या हो जाती है। आम धारणा है कि ऐसा आम खाने से होता है, लेकिन यह सही नहीं है। यह मॉइस्चर में पनपने वाले बैक्टीरिया की वजह से होता है।
क्या करें : ऐंटि बैक्टीरियल साबुन से दिन में दो बार नहाएं। शरीर को जितना मुमकिन हो , सूखा और फ्रेश रखें। हवा में रहें।
गर्म तासीर वाली चीजें जैसे अदरक , लहसुन , अजवाइन , मेथी , चाय – कॉफी आदि कम खाएं – पिएं। इनसे ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं , जिससे कीटाणु जल्दी आ जाते हैं।
फंगल इन्फेक्शन :- रिंग वॉर्म यानी दाद – खाज की समस्या गर्मियों में बढ़ जाती है। यह शरीर के उन हिस्सों में होता है, जिनमें पसीना ज्यादा आता है। इसमें गोल – गोल टेढ़े – मेढ़े रैशेज जैसे नजर आते हैं , रिंग की तरह। ये अंदर से साफ होते जाते हैं और बाहर की तरफ फैलते जाते हैं। इनमें खुजली होती है और एक से दूसरे में फैल जाते हैं।
क्या करें : नहाने के बाद बॉडी को अच्छी तरह सुखाएं। कहीं पानी रहने से इन्फेक्शन हो सकता है।
छपाकी :- ज्यादा गरम चीजें ( नॉनवेज , नट्स , लहसुन आदि ) खाने से कई बार स्किन पर अचानक लाल – लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इनमें हल्की खुजली होती है। इस स्थिति को अर्टिकेरिया या हाइव्स भी कहा जाता है।
क्या करें : नहाने के पानी में नींबू निचोड़ ले या एक चुटकी फिटकरी डाल सकते हैं !
ऐथलीट्स फुट :- जो लोग लगातार जूते पहने रहते हैं , उनके पैरों की उंगलियों के बीच की स्किन गल जाती है। समस्या बढ़ जाए तो इन्फेक्शन नाखून तक फैल जाता है और वह मोटा और भद्दा हो जाता है।
क्या करें : जूते उतार कर रखें और पैरों को हवा लगाएं। जूते पहनना जरूरी हो तो पहले पैरों को साबुन से साफ करें। फिर फिटकरी लगा लें। पैरों पर पाउडर भी डाल सकते हैं।
कॉन्टैक्ट अलर्जी :- आर्टिफिशल जूलरी , बेल्ट , जूते आदि के अलावा जिन कपड़ों से रंग निकलता है , उनसे कई बार अलर्जी हो जाती है , जिसे कॉन्टैक्ट अलर्जी कहा जाता है। जहां ये चीजें टच होती हैं , वहां एक लाल लाइन बन जाती है और दाने बन जाते हैं। इनमें काफी जलन होती है। अगर जूलरी आदि को लगातार पहनते रहेंगे तो बीमारी बढ़ जाएगी और उस जगह से पानी निकलना ( एक्जिमा ) शुरू हो जाएगा।
क्या करें : सबसे पहले उस चीज को हटा दें , जिससे अलर्जी है। गर्मियों में आर्टिफिशल जूलरी से बचें।
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