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6 घंटे से कम सोना गुर्दे की बीमारी को बुलावा - Sabguru News
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6 घंटे से कम सोना गुर्दे की बीमारी को बुलावा

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6 घंटे से कम सोना गुर्दे की बीमारी को बुलावा
Do you suffer from kidney disease? Less than six hours of sleep
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नई दिल्ली। रात में छह घंटे से कम सोने वाले लोगों को गंभीर गुर्दा रोग (सीकेडी) होने का अंदेशा बढ़ जाता है। नींद में बार-बार बाधा पड़ने से किडनी फेल होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।

एक ताजा अध्ययन के मुताबिक सीकेडी वाले लोगों को अक्सर उच्च रक्तचाप, मोटापे और मधुमेह के साथ होने वाली अन्य शिकायतें भी रहती हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, ऐसे व्यक्तियों में गुर्दे की कार्यप्रणाली को जांचना महत्वपूर्ण है, जिन्हें उच्च खतरे वाली एक या अधिक परेशानी है।

सीकेडी का अर्थ है कि समय के साथ गुर्दे की कार्य प्रणाली में और भी नुकसान होते रहना, जिसमें सबसे अंतिम स्थिति है किडनी फेल हो जाना। ऐसे मरीजों को फिर डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण से गुजरना पड़ सकता है। इसके लक्षण शुरू में प्रकट नहीं होते और जब दिखते हैं, तब तक बहुत नुकसान हो चुका होता है।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि गुर्दे खून की फिल्टरिंग में मदद करते हैं। खून से कचरा और द्रव सामग्री को बाहर निकालते हैं। वह हमारे शरीर में बनने वाले अधिकांश बेकार पदार्थो को निकाल बाहर करते हैं। लेकिन जब गुर्दे का रक्त प्रवाह प्रभावित होता है, तो वे ठीक से काम नहीं कर पाते। ऐसा किसी क्षति या बीमारी के कारण हो सकता है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सीकेडी जब बढ़ जाए, तब तरल पदार्थ, इलेक्ट्रोलाइट्स और कचरा शरीर से बाहर नहीं जा पाता और अंदर ही जमा होने लगता है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गुर्दे की असामान्य बनावट और बीमारी की पारिवारिक हिस्ट्री वाले मरीजों को अधिक जोखिम है। इसके अतिरिक्त, जो धूम्रपान करते हैं और मोटापे से ग्रस्त हैं, वे लंबे समय तक सीकेडी के निशाने पर रह सकते हैं।

उन्होंने कहा कि सीकेडी के कुछ लक्षणों में मतली, उल्टी, भूख की कमी, थकान, कमजोरी, नींद की समस्या, मानसिक परेशानी, मांसपेशियों में जकड़न, खुजली, सीने में दर्द, सांस की तकलीफ और उच्च रक्तचाप शामिल है। हालांकि, इन लक्षणों को अन्य बीमारियों से जुड़ा होने का भ्रम हो सकता है।

डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा कि अक्सर, सीकेडी का कोई इलाज नहीं होता। उपचार के तहत यही कोशिश की जाती है कि लक्षणों को नियंत्रण में रखा जा सके, जटिलताएं कम से कम हों और रोग की गति धीमी की जा सके। गुर्दे को गंभीर क्षति होने पर, किसी व्यक्ति को अंतत: किडनी रोग के इलाज की आवश्यकता हो सकती है। इस बिंदु पर, डॉक्टर डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की सिफारिश करते हैं।

गुर्दे की परेशानी से बचने के लिए 8 नियम

-फिट और सक्रिय रहें, इससे आपके रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है और किडनी के स्वास्थ्य के लिए कदम उठाने में मदद मिलती है।

-अपने ब्लड शुगर लेवल पर नियंत्रण रखें, क्योंकि डाइबिटीज के आधे रोगियों को गुर्दे की बीमारी हो सकती है।

-रक्तचाप की निगरानी करें। यह गुर्दे की क्षति का सबसे सामान्य कारण है। अपनी जीवनशैली और आहार में परिवर्तन करने चाहिए।

-स्वस्थ खाएं और अपना वजन जांचते रहें। इससे मधुमेह, हृदय रोग और सीकेडी से जुड़ी अन्य स्थितियों को रोकने में मदद मिल सकती है। नमक का सेवन कम करें। दिन में 5 से 6 ग्राम नमक काफी होता है।

-प्रतिदिन 1.5 से 2 लीटर पानी पीएं। तरल पदार्थों का सेवन अधिक करने से गुर्दे को सोडियम, यूरिया और विषैले पदार्थो को शरीर से बाहर करने में मदद मिलती है।

-धूम्रपान न करें। इसके कारण किडनी की ओर खून का दौरा कम हो जाता है। धूम्रपान करने पर किडनी में कैंसर का खतरा भी 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।

-अपनी मर्जी से दवाइयां खरीद कर सेवन न करें। इबूप्रोफेन जैसी कुछ दवाएं किडनी के लिए घातक साबित हो सकती हैं।