रीवा। डाक्टरों को कलयुग का भगवान कहा जाता है और अस्पताल सेवा के सबसे बड़े केन्द्र होते हैं जहां जान पर बन आई लोगों को जिंदगी दी जाती है। किंतु कुछ ऐसे भी अस्पताल है जहां की व्यवस्थाओं का भगवान ही मालिक है।
कलयुग के भगवान कहे जाने वाले डाक्टरों के पास अस्पताल में न केवल मरीजों की जान बचाने की जिम्मेदारी तो होती ही है अस्पताल की व्यवस्था का संचालन भी उन्हीं के हाथों में होता है।
यानी अस्पतालों में अपनी तकलीफ से निजात पाने के लिए आने वाले मरीज पूरी तरह से डाक्टरों के ही रहमो करम पर निर्भर रहते है। ऐसी स्थिति में अगर कोई आफत का मारा मरीज उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे तो उसे राहत मिलने के बजाय उसकी जान पर बन आए तो इसे आप क्या कहेंगे। यह पूरी तरह से डाक्टरों की लापरवाही ही कही जाएगी। जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मऊगंज में ऐसा ही हुआ।
एक किशोरी को पागल कुत्ता काट देने पर अस्पताल में लाया गया जहां उसे तत्काल भर्ती तो कर लिया गया किंतु जिस बिस्तर में उसे लिटाया गया उसमें बिच्छुओं का डेरा था। जैसे ही उसे विस्तर में लिटाया बिच्छू ने काट लिया। परिणाम स्वरूप उक्त किशोरी की हालत और गंभीर हो गई। जिस कारण अस्पताल में हडकंप की स्थिति निर्मित हो गई। मरीज की शिकायत पर निरीक्षण करने पहुंचे एसडीएम वहां के हालात देखकर चौक उठे।
उन्होंने तत्काल कार्यवाही करते हुए अस्पताल के सारे विस्तर बदलवा दिए तथा भविष्य में इस तरह की घोर लापरवाही की पुर्नावृत्ति न होन की सख्त हिदायत दी।
बताया गया है कि निरीक्षण में पहुंचे परिजनों ने एसडीएम को पूरे मामले की जानकारी दी जिसके बाद एसडीएम ने सभी विस्तर बदलवा दिए। संजुला सिंह पिता कमलभान सिंह निवासी बिछरहटा थाना मऊगंज को गांव में परिजनों ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया था जिस विस्तर में उसे लिटाया गया वहां पर बिच्छू था जिसने बच्ची को डंक मार दिया।
घटना की जानकारी मिलते ही अस्पताल में हडकंप मच गया। चिकित्सकों ने तत्काल बच्ची का उपचार किया। उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। बुधवार को एसडीमए मऊगंंज एस कृष्ण चैतेन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण करने पहुंचे जिसके बाद परिजनों ने एसडीएम को पूरे मामले की जानकारी से अवगत कराया।
इस लापरवाही से नाराज एसडीएम ने अस्पताल के स्टाफ को जमकर फटकार लगाई। एसडीएम के निर्देश पर सभी बेडों में मौजूद खराब विस्तरों को बदल दिया गया। अस्पताल के स्टॉफ की लापरवाही से बच्ची की जान पर बन आई थी। इस दौरान एसडीएम ने अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया।
एसडीएम द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान अस्पताल की अन्य व्यवस्थाओं की भी पोल खुलते देर नहीं लगी। अस्पताल की एक्सरे मशीन काफी समय से बंद रहने की जानकारी भी सामने आ गई। उन्होंने एक्सरे मशीन के बारे में पूछताछ की तो बताया गया कि छोटे से फाल्ट के कारण मशीन बंद है।
उन्होंने तत्काल स्टॉफ से मशीन खराबी के संबंध में जानकारी ली और मशीन को जल्द चालू करवाने के निर्देश दिए। एक्सरे मशीन बंद होने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मरीजों को एक्सरे करवाने के लिए बाहर करवाना पड़ता जिस पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ता ही है साथ ही एक्सरे के साथ मिलने वाली उसकी रिपोर्ट की विश्वसनीयता भी नहीं रहती। क्योंकि जिले में जितने भी एक्सरे एवं पैथालाजी केन्द्र है वहां पैथालाजिस्ट न होने के कारण मनमानी प्रकार से रिपोर्ट प्रदान कर दी जाती है।
जिससे मरीजों को परेशान होना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मनमानी के चलते पैथालाजी एवं एक्सरे केन्द्र वगैर अधिकृत पैथालाजिस्ट के रिपोर्ट तैयार कर मरीजो के साथ धोखाधड़ी की जाती है।
इस तरह के कई मामले समय समय पर जांच के दौरान सामने आते रहते है। किंतु ठोस कार्रवाई के अभाव में अवैध एक्सरे एवं पैथालाजी केन्द्र दिनदूनी रात चौगुनी गति से फल-फूल रहे है। इस तरह के हालात केवल यहां भर नहीं अपितु जिले के सभी ग्रामीण एवं कस्बाई अस्पतालों का है जहां पर यह बाते आम हो चुकी है। कुछेक जगह को छोड़ दिया जाए तो जिले भर में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात काफी खराब है।