न्यूयार्क। घरेलू हिंसा का बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है यह तो हम जानते हैं, लेकिन हाल ही में “चाइल्ड अब्यूज एंड नेग्लेक्ट” में प्रकाशित एक शोध में पता चला है कि घरेलू हिंसा बच्चे को जन्म से पहले यानी गर्भ में भी नुकसान पहुंचा सकती है।
जिन बच्चों की मां गर्भावस्था के दौरान घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, उन बच्चों में जन्म के बाद पहले साल में भावनात्मक एवं व्यावहारिक सदमे के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
ऎसे बच्चों को अक्सर नींद में बुरे सपने आते हैं, वे छोटी बातों पर चौंक उठते हैं, तेज रौशनी में उन्हें परेशानी होती है, शोर शराबे से बेचैन हो जाते हैं, लोगों से मिलने में घबराते हैं और खुशी के क्षण में भी परेशानी महसूस करते हैं।
अमरीका के मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर अलितिया लेवेंडोस्की ने कहा कि माताओं के लिए यह जानना कि गर्भावस्था में घरेलू हिंसा से गुजरना या ऎसी घटनाओं का गवाह बनना उनके शिशु के मानसिक स्वास्थ के लिए हानिकारक हो सकता है, उन्हें ऎसी स्थिति से बचने के लिए प्रेरणा का काम करेगा।
घरेलू हिंसा से गर्भवती स्त्री के तनाव पर प्रतिक्रिया देने वाली प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है और क्रिस्टोल नामक हार्मोन में वृद्धि होती है और इससे उनके गर्भ में पल रहे भू्रण में भी क्रिस्टोल का स्तर बढ़ता है। क्रिस्टोल एक न्यूरोटॉक्सिक है और इसकी अधिक मात्रा या स्तर भू्रण के लिए दुष्प्रभावी और हानिकारक होता है।