वाशिंगटन। अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में न्यू हैम्पशायर के तीन शहरों के परिणाम आ गए हैं। इनमें रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप अपने प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन से 32-25 से आगे हैं।
डिक्सविले नॉच, एन.एच. में डेमोक्रेट हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में चार, रिपबल्किन डोनाल्ड ट्रेप के पक्ष में दो और लिबरटेरियन पार्टी के गैरी जॉनसन के पक्ष में एक वोट पड़े। हार्ट्स लोकेशन में क्लिंटन को 17 और ट्रंप को 14 वोट मिले।
मिल्सफील्ड में ट्रंप ने बाजी मारते हुए अच्छे अंतर से बढ़त बनाई। यहां ट्रंप को 16 जबकि हिलेरी को चार वोट मिले। यहां के चुनाव परिणाम हाल के सर्वेक्षण से एकदम उलट है।
4-5 नवम्बर के बीच कराए गए एमर्सन कॉलेज के सर्वे में हिलेरी को एक प्रतिशत अंक से बढ़त में दिखाया गया था। जबकि 3-6 नवम्बर को यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू हैम्पशायर के सर्वे में हिलेरी को 11 अंकों की बढ़त थी।
हालांकि इन नतीजों को अंतिम चुनाव परिणाम का संकेत नहीं माना जा सकता क्योंकि 1960 में यहां रिचर्ड एम. निक्सन के पक्ष में जबर्दस्त वोट पड़े थे जबकि राष्ट्रपति पद के लिए जॉन एफ. केनेडी चुने गए।
कैसे होता है चुनाव
अमरीका में 50 राज्य हैं। कांग्रेस में किसी राज्य के सदस्यों की संख्या के आधार पर उस राज्य के इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की संख्या तय होती है। मोटे तौर पर इन वोटों की संख्या आबादी के अनुपात में ही होती है। पॉपुलर वोट से कहीं अधिक अहम होता है इलेक्टोरल कॉलेज का वोट।
उदाहरण के तौर पर वर्ष 2008 में बराक ओबामा को 53 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन उन्होंने इलेक्टोरल कॉलेज के 68 प्रतिशत पाने में सफलता मिली थी। इसीलिए उनकी जीत आसान हो गई थी।
क्यों अहम हैं ये राज्य
कुछ राज्य ऐसे हैं जहां हिलेरी क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप में से कोई भी बढ़त बनाने में विफल रहा है और इन राज्यों की छवि कभी रिपब्लिकन तो कभी डेमोक्रेट उम्मीदवार के लिए वोट करने की रही है। ये राज्य हैं- अरिजोना, फ्लोरिडा, नॉर्थ कैरोलिना, ओहियो और वर्जीनिया। कह सकते हैं कि इन राज्यों में चुनाव परिणाम को मोड़ देने की ताकत है।
इस बार का चुनाव इतना नजदीकी क्यो
दोनों ही उम्मीदवारों को लेकर उनकी अपनी पार्टी में भी कुछ हद तक असंतोष है। कुछ बड़ी रिपब्लिकन हस्तियों ने पार्टी उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को समर्थन से इनकार किया है जबकि यूगोव मतदान से पता चलता है कि बर्नी सैंडर्स के आधे से भी अधिक समर्थक हिलेरी क्लिंटन का साथ देंगे।
न्यूयार्क टाइम्स और सीबीएस न्यूज के सर्वेक्षण से पता चलता है कि दोनों ही उम्मीदवारों के प्रति आम लोगों का उतना भरोसा नहीं है। लगभग एक तिहाई लोग हिलरी को भरोसेमंद और ईमानदार मानते हैं जबकि ट्रंप के बारे में ऐसी राय रखने वाले लोग 35 फीसदी हैं।
57 फीसदी हिलेरी के मूल्यों से सहमत नहीं जबकि ट्रंप की नीतियों से 62 फीसदी लोग सहमत नहीं। ज्यादातर लोग मानते हैं कि हिलेरी की सोच और उनका व्यक्तित्व राष्ट्रपति के लिए मुफीद है, जबकि ट्रंप के बारे में लोकप्रिय सोच यह है कि उनमें वास्तविक बदलाव लाने की क्षमता है।
भारत के लिए चुनाव के मायनेः भारत के लिए डेमोक्रेट और रिपब्लिकन, दोनों ही पार्टी के राष्ट्रपतियों का हालिया कार्यकाल बेहतर रहा। डेमोक्रेट राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरान भारत और अमरीका के रिश्तों में करीबी आई और अंततः बराक ओबामा के दौरान यह संबंध काफी मजबूत बना।
हिलेरी की छवि भारत समर्थक की है और उम्मीद है कि उनकी जीत के बाद रिश्तों को नया आयाम मिलेगा। रिपब्लिकन राष्ट्रपति जूनियर बुश के दौरान दोनों देशों में परमाणु करार हुआ और अप्रवासियों के मुद्दे पर कड़े रुख के बाद ट्रंप ने भारतीय समुदाय की आशंकाओं को दूर करने का भरसक प्रयास किया है। माना जा रहा है कि अगर ट्रंप ने बाजी मारी तो अपने मुखर चीन विरोध के कारण भारत के साथ रिश्तों पर ध्यान देना उनकी जरूरत होगी।
महिलाओं के लिए खास
इस बार का अमरीकी चुनाव महिलाओं के लिए खासा अहम रहा। एक ऐसा देश जहां 18 अगस्त 1920 से पहले जन्मी महिलाओं को वोटिंग का अधिकार भी नहीं था। वहीं देश के राष्ट्रपति पद के लिए एक महिला खड़ी होती है। इस तरह अमरीकी महिलाओं के लिए यह वाकई ‘बड़ा दिन’ है।
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