डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी चुनाव जीतने के बाद भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्यादा दबाव आईटी, फार्मा और एक्सपोर्ट आधारित सेक्टर्स में देखने को मिला। इसपर आम्रपाली आद्या ट्रेडिंग एंड इंवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर और रिसर्च हेड अबनीश कुमार सुधांशु ने अपनी राय दी है। उनके मुताबिक इन सेक्टर्स को भारी गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के प्रति कैसे रवैया अपनाते हैं। शॉर्ट टर्म में घरेलू बाजार में तो दबाव बनता दिख रहा है, लेकिन लंबे समय में भारत का प्रदर्शन सुधर सकता है।
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी: अबनीश कुमार सुधांशु ने बताया कि ट्रंप पहले दिन से ही कह रहे हैं कि वे देश में अमेरिकी नौकरियां वापस लाएंगे। अमेरिका की नौकरी देश के बाहर न जाने देने के रवैए का सीधा सा मतलब यह है कि अब उन भारतीयों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी जो वहां नियमित तौर पर आते-जाते रहते हैं या वहां से अपना बिजनेस संचालित कर रहे हैं। भारतीय आईटी कंपनियां अपनी सर्विसेज यूएस की कंपनियों को आउटसोर्स करती है जो कि अमेरिका के सालाना 110 बिलियन डॉलर के राजस्व में से 60 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी रखती हैं। हमारा ट्रंप की जीत के बाद एच1 बी वीजा में तत्काल किसी भी तरह की कटौती से इंकार नहीं कर सकते हैं। नतीजन तेजी से आगे बढ़ रही भारतीय कंपनियों की कमाई पर असर पड़ सकता है।
फार्मा: शॉर्ट टर्म में फर्माक्यूटिकल इंडस्ट्री पर नकारात्मक असर की उम्मीद की जा सकती है। ट्रंप ने यूएस में सख्त मौद्रिक नीतियों को तरजीह दी है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप ओबामाकेयर को हटाने की वकालत करेंगे और अंत में फर्माक्यूटिकल कंपनियों पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे।
एक्सपोर्ट आधारित सेक्टर्स:
ट्रंप ने अपने चुनावी घोषणापत्र में यह वादा किया था कि वे कॉरपोरेट टैक्स को 35 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर देंगे। अगर ऐसा होता है तो ऑटो विनिर्माण कंपनियां, जो कि अमेरिका से बाहर चली गई थी, वे फिर से अमेरिका की ओर आकर्षित हो सकती है।
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