अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच फोन पर बातचीत के दौरान ट्ंप की ओर से पाकिस्तान की बेहतरी के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया जाना ट्रंप के व्यक्तित्व से उल्टा प्रतीत होता है, क्यों कि डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से पाकिस्तान को आतंकवाद का पोषक और खतरनाक देश मानते रहे हैं।
ट्रंप ने अमरीकी राष्ट्रपति के लिए अपने पूरे चुनाव अभियान के दौरान कई बार पाकिस्तान को निशाने पर लिया था, ट्रंप ने कहा था कि पाकिस्तान हमारा दोस्त नहीं है। हमने उसे अरबों डॉलर दिए और हमें क्या मिला? विश्वासघात और अपमान। ट्रंप ने यह भी कहा था कि अब समय आ गया है जब हम उससे सख्ती से निपटें। भारत के साथ मिलकर उसे सबक सिखाऊंगा।
ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि ट्रंप अमरीका का राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद पाकिस्तान के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए उसे सबक सिखाने में पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन अब अगर ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को फोन करके हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया जा रहा है तो इससे ट्रंप के प्रति विश्वभर में नकारात्मक संदेश ही जाएगा।
हालांकि डोनाल्ड ट्रंप की टीम द्वारा कहा गया है कि ट्रंप व नवाज के बीच हुई बातचीत को पाकिस्तान ने अतिरंजित ढंग से प्रस्तुत किया है तथा यह प्रोटोकाल का भी उल्लंघन है क्योंकि दो वैश्विक नेताओं के बीच हुई बातचीत को इस ढंग से सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
वहीं पाकिस्तान ने दावा किया है कि ट्रम्प ने नवाज से बातचीत के दौरान कहा कि पाकिस्तान जबरदस्त संभावनाओं वाला एक गजब का देश है। दुनिया के सबसे इंटेलिजेंट लोगों में पाकिस्तानी भी शामिल हैं। पाकिस्तान ने दावा किया है कि शरीफ ने ट्रम्प को पाकिस्तान आने का न्योता भी दिया। इस पर ट्रम्प ने कहा कि वे एक शानदार देश, शानदार लोगों वाली जगह आना पसंद करेंगे।
पाकिस्तान का दावा है कि ट्रम्प ने यह भी कहा कि अपनी परेशानियों का हल तलाशने में आप मुझसे जैसा भी किरदार निभाने की उम्मीद करते हैं, उसके लिए मैं तैयार हूं। यह मेरे लिए सम्मान की बात होगी। उधर ट्रंप की टीम ने यह भी दावा किया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने नवाज शरीफ को नहीं बल्कि नवाज शरीफ ने डोनाल्ड ट्रंप को बधाई देने के लिये फोन किया था।
ऐसे में यह तो कहा ही जा सकता है कि फोन चाहे जिस पक्ष से किया गया हो लेकिन ट्रंप और नवाज के बीच बातचीत तो हुई ही है। फिर अगर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई है तो द्विपक्षीय मुद्दों पर अवश्य ही चर्चा हुई होगी। वैसे पाकिस्तान द्वारा नवाज शरीफ और ट्रंप के बीच हुई इस बातचीत को जिस ढंग से बहु प्रचारित किया जा रहा है उससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान ट्रंप के नाम का इस्तेमाल करके कूटनीतिक बढ़त हासिल करना चाहता है तथा भारत पर दबाव बनाना चाहता है।
क्योंकि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी है तथा उसका रवैया भारत के प्रति बेहद शत्रुतापूर्ण है। ऐसे में ट्रंप के लिए यह जरूरी है कि वह पाकिस्तान के प्रति अपने रवैये के निर्धारण में भारत के हितों का ध्यान अवश्य रखें क्योंकि ट्रंप के अमरीका का राष्ट्रपति निर्वाचित होने में भारतीय मूल के लोगों की अग्रणी भूमिका रही है।
भारतवासी इस बात से आशान्वित रहे हैं कि ट्रंप के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद पाकिस्तान को अलग थलग किया जाना और अधिक आसान हो जाएगा वहीं भारत की वैश्विक साख और धाक बढ़ाने में डोनाल्ड ट्रंप बड़े मददगार की भूमिका निभाएंगे।
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चुनाव अभियान के दौरान अगर कहा था कि पाकिस्तान भरोसेमंद देश नहीं है तो इस सच्चाई से पूरा विश्व वाकिफ है तथा खासंकर आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की विश्व बिरादरी में खासी आलोचना भी होती रहती है लेकिन पाकिस्तान की ढिठाई का आलम यह है कि उसकी हरकतें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। ऐसे में अमरीका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान के प्रति अपने कड़े रुख में कोई नरमी न लाएं।
: सुधांशु द्विवेदी