इलाहाबाद। केन्द्र सरकार व राज्य सरकार एक तरफ जहां बेटी बचाओं अभियान चला रही है। वहीं दूसरी तरफ दहेज लोभियों ने गर्भ पल रही मासूम को दुनिया देखने से पूर्व ही मौत के घाट उतार दिया।
वहीं दूसरी तरफ नैनी पुलिस पहले तो पीडि़त विवाहिता की एक नहीं सुना और वह न्याय पाने के लिए भटकती रही। लाख कोशिशि के बाद ऐसे खूनी दंरिदों के खिलाफ भ्रूण हत्या एव दहेज उत्तपीड़न का मामला रविवार की रात तो दर्ज कर लिया। लेकिन अबतक मासूम बच्ची के हत्यारों की गिरफ्तारी करना तो दूर की बात है आरोपियों को जांच के बहाने में बचाने में जुटी हुई है।
बतादें कि मध्य प्रदेश के अनूपपुर विजुरी गांव के निवासी जितेन्द्र तिवारी ने अपनी प्रिया की शादी हिन्दू रीति रिवाज के तहत 16 अप्रैल वर्ष 2014 को जिले के यमुनापार क्षेत्र के नैनी कोतवाली अन्तर्गत चक रघुनाथ बोगवागली के निवासी ओम प्रकाश उपाध्याय के बेटे विनीत उपाध्याय उर्फ मणि के साथ अपने सामथ्र्य के मुताबिक दान दहेज देकर किया।
लेकिन शादी के बाद से ही उसका पति विनी, ससुर ओम प्रकाश उपाध्याय, सास गायत्री उपाध्याय, ननद ज्योति उपाध्याय होण्डा सिटी कार की मांग करने लगे। लेकिन मेरे पिता कार देने में असमर्थ थे, जिससे परिवार के लोग मानसिक, शारीरिक उत्पीड़न करने लगे और प्रिया परेशान होकर अपने पिता को जानकारी दी।
इस पर उसके पिता ने बेटी को सहन करने के लिए कहा और कहा कि कर्ज लेकर कार देने का इन्तजाम करूॅंगा। जिससे वह ससुराल वालों की जलालत झेलती रही। इस दौरान वह गर्भवती हो गई। उक्त आरोप लगाते हुए पीडि़ता प्रिया उपाध्याय ने बताया कि मेरे ससुराल के लोगों ने उसके इच्छा के विपरीत गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग परीक्षण करवाया।
उन्हें जैसे जानकारी हुई की गर्भ पल रहा बच्चा बेटी है। इसके बाद 27 जुलाई को शादी की मध्यस्थता करने वाले डीएन पाण्डेय निवासी गुरू नानक नगर थाना नैनी को बुलाया गया और कहा कि जब कार द्वार पर खड़ी होगी तभी बेटी धरती पर जन्म लेने पायेगी। लेकिन समय से कार उपलब्ध नहीं हो पायी तो ससुराल के लोगो ने उसे तरह-तरह से प्रताडि़त करने लगे।
इतना ही उस पर तेजाब भी फेका गया, हलांकि उसे पड़ोसियों ने बचा लिया। हद तब हो गई जब ससुराल वालों की पिटाई से गर्भ में पल रही मासूम बेटी की पिटाई से मौत हो गई। इस दौरान वह अपना उपचार भी कराने का प्रयास किया। लेकिन वह बेटी को बचाने में नाकाम हो गई। ससुराल के लोग मारपीट कर अधमरा कर दिया और उसका जेवरात उतरा कर उसे मरणासन्न अवस्था में छोड़ दिया।
खबर मिलते उसके मायके लोग पहुंचे और 6 अगस्त को उपचार के लिए रामबाग में स्थित द्वारिका हास्पिटल में भर्ती कराया जहां चिकित्सकों ने गर्भ मृत बच्ची को किसी बाहर निकाला और पीडि़त प्रिया की जान बचाने में कामयाब हो गये। लेकिन दौरान पीडि़ता की दिमागी हालत भी खराब हो गई। लेकिन चिकित्सकों उसे बचा लिया।
इसके बाद लगातार पीडि़ता खूनी दरिंदों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए लगातार नैनी थाने का चक्कर काटती और पुलिस उसे थाने से भगा देती थी। हालांकि किसी तरह रविवार की रात उसकी तहरीर पर ससुराल वालों के खिलाफ भ्रूण हत्या एव दहेज अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया। लेकिन अभी पुलिस आरोपियों को बचाने का प्रयास में जुटी है।
आखिर भ्रूण हत्या की साजिश में शामिल कौन है डाक्टर
सबसे अहम सवाल यह है कि मुख्य चिकित्साधिकारी के निर्देश के बावजूद लिंग जांच करने वाले उस चिकित्सक के खिलाफ पुलिस जांच करेंगी कि नहीं, यह फिर इस पूरे मामले को पुलिस दबन कर देगी। यह तो पुलिसिया जांच के बाद ही पता चल पायेगा।
सीओं करछना ने बताया कि अभी मेरे संज्ञान में ऐसा प्रकरण कोई नहीं आया है। यदि ऐसा हुआ है तो जांच कराने वाले एवं जांच करने वाले चिकित्सक कार्य अपरध की श्रेणी में आता है। इसमें कार्रवाई भी होगी। यह पूरा तथ्य जांच के बाद ही सामने आयेगा।