सबगुरु न्यूज-सिरोही। क्रिकेट में बैटिंग और बाॅलिंग पावर प्ले देखा सुना होगा, लेकिन सिरोही निकाय प्रमुख और पूर्व आयुक्त ने पटटों का पावरप्ले खेला। पावर प्ले दो लिहाज से है। एक तो धड़ाधड़ इस तरह से पट्टे और स्ट्रीप ऑफ लैण्ड निकले हैं कि जैसे इसके बाद कोई मौका नहीं आएगा, और दूसरा इसलिए कि इनमें कई पावरफुल लोगों को फायदा पहुंचाया गया है।
पूर्व आयुक्त लालसिंह राणावत के रिटायरमेंट 31 जुलाई को होना था ऐसे में जुलाई के अंतिम दस दिनों में ही दो दर्जनों पटटे जारी कर दिये। इसमें थुम्ब चुंगी चैकी के पास लैंड आॅफ स्ट्रीप, अंहंसा सर्किल पर के केबिन, ट्रांसपोर्ट नगर, खसरा संख्या 1218 का सबसे अवेटिंग पटटे समेत अन्य कई पटटे व दस्तावेज शामिल हैं।
सबगुरु न्यूज के पास वो सभी दस्तावेज उपलब्ध हो गए हैं, जिन पर नगर परिषद इसलिए कुंडली मारकर बैठी हुई थी कि उनकी अनियमितताएं सामने नहीं आ जाए। अकेले 27 से 31 जुलाई तक के करीब दर्जनों दस्तावेज सबगुरु न्यूज के पास हैं जिसमें सिरोही के कई नामचीन लोगों के रिश्तेदारों के नाम से सरकारी संपत्तियों को कर दिया गया है। इधर, पटटा मिलते ही खसरा संख्या 1218 पर फिर से निर्माण शुरू कर दिया गया है। इसे लेकर पुलिस में परिवाद भी दाखिल किया गया है।
नवम्बर से ही शुरू
सिरोही नगर परिषद में सरकारी भूमियों को खुर्दबुर्द करने का खेल नवम्बर के तीसरे सप्ताह से ही जारी हो गया था। तब यहां कांग्रेस का बोर्ड था इसके बाद भाजपा का बोर्ड बना तो जैसे इस काम को पंख लग गए। चूंगी चैकियां के इर्दगिर्द, ट्रांसपोर्ट नगर समेत कई स्थानों की सरकारी जमीनें खुर्दबुर्द कर डाली। खसरा संख्या 1218 तो सिर्फ एक बानगी भर है सबगुरु न्यूज को जो तथ्य उपलब्ध हुए हैं, उसके अनुसार शहर के हर इलाके से चुन चुन कर सरकारी जमीनों को खुर्द बुर्द किया है।
गले नहीं उतरती दलील
खसरा संख्या 1218 समेत सरकारी भूमियों के जितने भी पटटे नगर परिषद के भाजपा के बोर्ड में जारी किए गए हैं, उनके लिए सभापति ताराराम माली यह दलील दे रहे हैं कि आयुक्त सभी मामलों के नियमसंगत होने की तस्दीक करने के बाद ही उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं।
उनका यह प्रयास शायद इसलिए हो सकता है कि पटटों के लिए भविष्य में संभावित बवाल से वह पल्ला झाड सकें, लेकिन उनकी यह दलील गले उतरती नहंी दिख रही है, क्योंकि सिरोही के मास्टर प्लान को लेकर जो सुनवाई हुई थी, उसमें वर्तमान सभापति ताराराम माली की भी आपत्ति प्रमुखता से गई है, जिसमें उन्होंने मास्टर प्लान की कई कानूनी और नीतिसंगत खामियों पर प्रकाश भी डाला था। ऐसे में सभापति के भूमि नियमन व अन्य नियमों व कानूनों की जानकारी के लिए किसी अधिकारी पर निर्भर रहने की दलील बेमानी सी नजर आ रही है। उनकी दलीलों के सामने मास्टर प्लान की सुनवाई में सीनीयर टाउन प्लानर ठहरते नजर नहीं आ रहे थे तो ऐसे में पट्टों पर हस्ताक्षर के लिए सिर्फ आयुक्त की तस्दीक पर ही अपने हस्ताक्षर कर देने की दलील गले से नहीं उतर रही है।
आखिर किसकी सरपरस्ती
सिरोही नगर परिषद में भाजपा का बोर्ड आने के बाद भी जो अनियमितताएं सामने आ रही हैं। इस दौरान जो पटटे जारी हुए हैं और इनमें जो नाम सामने दिख रहे हैं, उससे यह बिल्कुल स्पष्ट है कि इस सब गडबडझाले को अंजाम देने के लिए ही सिरोही नगर परिषद में विशेष प्रयास किए गए थे, इसकी शुरूआत पूर्व सभापति जयश्री राठौड के कार्यकाल के अंतिम एक दो महीनों में ही शुरू हो गए थे।
इस दौरान जयपुर में भाजपा की सरकार थी और सिरोही नगर परिषद में नवम्बर 2014 में कांग्रेस के बोर्ड से वर्तमान में भाजपा के बोर्ड तक एक ही काॅमन कनेक्शन है जो जयपुर से मिल रहा है, सीसीटीवी कैमरे से लेकर हर अनियमितता में इस काॅमन फैक्टर की भूमिका अब शक के दायरे में आती जा रही है, इतना ही नहीं सोशल मीडिया में भी यह नाम अब चैडे से चल निकला है। कोई भी यह मानने को तैयार नहीं है कि तमाम अनियमितताओं को सत्ता की सरपरस्ती हासिल नहीं है।