सबगुरु न्यूज-सिरोही। भारतीय वन्यजीव बोर्ड की 12 बैठक में बनाए गए वन्यजीव संरक्षण कार्यनीति 2002 तथा गोवा फाउण्डेशन की सुप्रीम कोर्ट में लगाई जनहित याचिका के 2006 के निर्णयानुसार माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों तरफ की परिधि में शून्य किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र को ईको सेंसेटिव क्षेत्र में शामिल किया जाएगा।
इस क्षेत्र में आबूरोड का तलहटी क्षेत्र समेत रेवदर, सिरोही और पिण्डवाडा तहसील के कई इलाके आएंगे। वैसे इस ईको सेंसेटिव जोन में उस तरह की सख्तियां नहीं पाबंदियां नहीं होंगी जैस माउण्ट आबू में लगी हुई हैं। जिला कलक्टर की अध्यक्षता में बनी समिति इस संबंध में एक पखवाडे में निर्णय करके इसका प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज देगी।
उल्लेखनीय है कि जब तक माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों तरफ ईको सेंसेटिव जोन का नोटिफाइड नहीं होता तब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर दस किलोमीटर की परिधि क्षेत्र में यह लागू रहेगा। इससे यहां पर निर्माण व विकास की गतिविधियां प्रभावित होंगी। जितनी जल्दी यह दायरा निर्धारित होगो उतनी ही जल्दी ईएसजेड से बाहर होने वाले इलाकों को राहत मिल सकेगी।
यह है गाइडलाइन
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार वाइल्ड लाइफ पार्क और सेंचुरी के चारों ओर के ईको सेंसेटिव जोन में व्यावसायिक खनन, आरा मशीन, किसी तरह का प्रदूषण पैदा करने वाली औद्योगिक ईकाई की स्थापना, लकडी का व्यावसायिक इस्तेमाल, बडे जल विद्युत संयंत्रो की स्थापना, हानिकारक उत्पादों के प्रोडक्शन, जल स्रोतों और संबंधित क्षेत्र में सोलिड वेस्ट का निस्तारण पूरी तरह से पाबंद रहेगा।
वहीं पेडों की कटाई, होटल्स और रिसाॅर्ट्र्स की स्थापना, खेती की प्रणाली में बडे परिवर्तन, प्राकृतिक जल का व्यावसायिक इस्तेमाल, होटल और लाॅज के परिसर की फेंसिंग, पाॅलिथिन के इस्तेमाल, सडकों को चौडा करने, रात को वाहनों की आवाजाही, किसी बाहरी स्पेशिस को लगाने, हिल स्लोप और नदी के किनारों के संरक्षण, साइनबोर्ड और होर्डिंग्स लगाने की गतिविधियां नियंत्रित रहेंगी।
जिस पर नोटिफिकेशन के अनुसार माउण्ट आबू की ही माॅनीटरिंग कमेटी की तरह की ही कोई अधिकृत समिति नियंत्रण और निगरानी रखेगी। वहीं स्थानीय समुदायों की कृषि गतिवधियां, आॅगेनिक फार्मिंग, रिन्यएबल एनर्जी का इस्तेमाल, किसी गतिविधि में हरित तकनीकों का इस्तेमाल करने की पूर्णतः अनुमति होगी।
पुराने प्रस्ताव को किया निरस्त
माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर की परिधिय क्षेत्र को ईको सेंसेटिव जोन घोषित करने के लिए पूर्व कलक्टर बन्नालाल के नेतृत्व में भी कमेटी ने एक प्रस्ताव बनाया था। इसके अनुसार माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर शून्य किलोमीटर के क्षेत्र में ईको सेंसेटिव जोन लगाया गया था। इस प्रस्ताव को केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार निरस्त कर दिया।
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर के 31 जुलाई, 2015 को मानसून सत्र के दौरान संसद में दिए गए वक्तव्य के अनुसार कम से कम एक किलोमीटर के दायरे में ईको सेंसेटिव जोन लगाना होगा। ऐसा करके नोटिफाइड नहीं करवाने तक माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर दस किलोमीटर की परिधि में ईको सेंसेटिव जोन लागू है।
इनका कहना है….
हमने सभी स्टेक होल्डर्स के भ्रम को दूर करने के लिए उनके साथ मीटिंग की है। माउण्ट आबू के चारों ओर ईको सेंसेटिव जोन की परिधि को शून्य किलोमीटर नहीं रखा जाएगा। हम 15 दिनों में इसे तैयार करके भेज देंगे। जब तक ईएसजेड नोटिफाइड नहीं हो जाता तब तक यह 10 किलोमीटर तक मान्य माना जा रहा है। इससे यूआईटी समेत अन्य विकास की गतिविधियां थम गई हैं।
संदेश नायक, जिला कलक्टर
चेयरमेन, ईको सेंसेटिव जोन ड्राफिटंग कमेटी, सिरोही।