अगरतला। त्रिपुरा में धार्मिक सद्भाव का नजारा पेश करते हुए हजारों मुस्लिमों ने रविवार को इस्लामी महीने के दसवें दिन ‘अशूरा’ पर मुहर्रम का जुलूस निकाला, जबकि एक दिन पहले विजयादशमी पर हिंदुओं ने दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जित किया।
पूर्वोत्तर राज्य में हल्की और भारी बारिश के बीच हजारों मुस्लमानों और हिंदुओं ने इस धार्मिक अवसरों पर पूर्ण शांति और सद्भाव के साथ भाग लिया।
पचिम जिले के पुलिस प्रमुख अभिजीत सप्तर्शी ने बताया कि जिला और पुलिस प्रंबंधन ने अगरतला और दूसरे शहरों में मुहर्रम के मौके पर जुलुस के मद्देनजर कई अलग रास्ते तैयार किए थे। यह पारंपरिक जुलुस शाम 5 बजे तक पूरा हुआ।
उन्होंने कहा कि शनिवार से लेकर रविवार शाम तक अगरतल के दसमी घाट पर 200 से ज्यादा दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन किया गया। इनमें से ज्यादातर छोटे समूहों, समुदायों और घर में रखी दुर्गा की मूर्तियां शामिल थीं।
राज्य के पुलिस महानिदेशक अखिल कुमार शुक्ला के मुताबिक इस साल त्रिपुरा में करीब 2,440 समुदाय, लगभग 100 परिवारिक पूजा और लगभग 1,485 ग्रामीण और आंतरिक इलाकों में दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया था। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम रहा।
मुहर्रम के मौकों पर, मुस्लमानों ने इस्लामिक महीने के मुहर्रम के 10 वें दिन ढोल की ताल पर सीने पर हाथ पीटते हुए जुलूस निकाला। इस जुलूस के साथ ही उन्होंने 680 ईस्वी में इराक के करबला में पैगंबर मोहम्मद के पोते इमाम हुसैन की शहादत पर शोक मनाया।
मुहर्रम एक शोक का दिन माना जाता है, इस दिन मुस्लमान स्वैच्छिक रूप से उपवास रखते हैं, दान देते हैं और हुसैन की याद में प्रार्थना करते हैं।
नागरिक निकायों, जिला प्रशासन और पुलिस ने नदी किनारे जहां बड़े विसर्जन चल रहे हैं, वहां पर आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था की थी।
राज्य के सभी हिस्सों से संबंधित रिपोटरें का हवाला देते हुए नियंत्रण कक्ष के पुलिस अधिकारियों ने कहा कि राज्य में दो धार्मिक अनुष्ठानों से संबंधित कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई है।