नई दिल्ली। सरकार ने मोटर वाहन कानून 1988 में संशोधन से संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी जिससे राजधानी की सड़कों पर फिर से ई रिक्शा जल्दी ही दौड़ते नजर आएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ई रिक्शा और ई वाहन चलाने के लिए मोटर वाहन कानून 1988 में संशोधन से संबंधित विधेयक को मंजूरी दी गई।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए दिल्ली में 31 जुलाई से ई रिक्शा पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। कोर्ट ने इसे यातायात और नागरिकों दोनों के लिए खतरनाक माना था। ई वाहन चलाने के लिए कम से कम एक साल के हल्के मोटरवाहन चलाने के अनुभव की शर्त में ढील दी गई है। फिलहाल इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को ई वाहन या ई रिक्शा चलाने के लिए तब तक लर्नर लाइसेंस नहीं दिया जा सकता जब तक उसके पास एक साल तक का ड्राइविंग लाइसेंस पहले से न हो।
अधिकतर ई रिक्शा या ई वाहन चालकों के पास कोई ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, इसलिए इस कानून में संशोधन किया गया है क्योंकि एक साल तक ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर कोई भी ई रिक्शा या ई वाहन नहीं चला सकता था। मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाने के बाद ई रिक्शा अब कानूनीरूप से मान्य हो गया है और जो व्यक्ति ड्राइवर का टेस्ट पास कर लेगा उसे लाइसेंस मिल जाएगा।
सरकार ने अक्टूबर में एक अधिसूचना जारी कर ई रिक्शा चलाने के लिए लाइसेंस जरूरी किया था। ई रिक्शा की अधिकतम गति 25 किलोमीटर रखी गई है। नए नियमों के अनुसार ई रिक्शा पर चार सवारियों और 40 किलोग्राम सामान की इजाजत दी गई है। ई कार्ट्स पर 310 किलोग्राम वजन ढोया जा सकेगा। ई रिक्शा और ई कार्ट चलाने की लाईसेंस की अवधि इसके जारी किए जाने से तीन साल के लिए होगी।
गौरतलब है कि दिल्ली में ई रिक्शा पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से करीब एक लाख लोगों की रोजी रोटी खतरे में पड़ी हुई थी। दिल्ली विधानसभा के चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियां समय समय पर ई रिक्शा का मुद्दा उठा रहीं थीं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कई मौकों पर कहा था कि सरकार ई रिक्शा को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा था कि सरकार दिल्ली की सड़कों पर ई रिक्शा को फिर से चलाने की अनुमति के लिए कदम उठा रही है।