भोपाल। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तीन वर्ष तक के लिए चुनाव लड़ने में अयोग्य ठहराए गए मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर कर आयोग के फैसले को चुनौती दी है, वहीं शिकायतकर्ता राजेंद्र भारती ने केवियट दायर कर निर्णय से पहले उनका पक्ष सुनने का अनुरोध किया है।
निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में पेड न्यूज छपवाने और चुनाव खर्च का ब्योरा सही नहीं दिए जाने को लेकर दी गई शिकायत पर 24 जून को जल संसाधन और विधि-विधायी मंत्री डॉ. मिश्रा को तीन वर्ष के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया था।
मिश्रा ने आयोग का फैसला आने पर ही उच्च न्यायालय जाने की बात कही थी। तीन दिन की छुट्टी के बाद मंगलवार को ग्वालियर उच्च न्यायालय की खंडपीठ में मिश्रा के अधिवक्ता एम.पी.एस. रघुवंशी ने आयोग के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है।
वहीं शिकायतकर्ता राजेंद्र भारती ने बताया है कि उनके अधिवक्ता प्रतीत बिसोरिया ने केवियट दायर की है। इसमें कहा गया है कि कोई फैसला लिए जाने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।
मिश्रा ने वर्ष 2008 का विधानसभा चुनाव दतिया से लड़ा था और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र भारती (बसपा) को पराजित किया था, भारती ने 2009 में चुनाव आयोग से शिकायत की थी, जिसमें कहा गया था कि मिश्रा ने चुनाव के दौरान गलत तरीकों के उपयोग के साथ पेड न्यूज भी छपवाई और उसका ब्यौरा नहीं दिया।
बिसोरिया के मुताबिक मिश्रा को उच्च न्यायालय से पहले राहत मिली, मगर बाद में याचिका खारिज हो गई। फिर वह सर्वोच्च न्यायालय गए, मगर वहां से भी राहत नहीं मिली। उधर, निर्वाचन आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए मिश्रा को तीन साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया।
भारती ने मिश्रा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने 42 पेड न्यूज छपवाई, वहीं कई समाचार चैनलों पर उनके प्रचार के कार्यक्रम चले। इस पर हुए खर्च का मिश्रा ने आयोग को ब्यौरा नहीं दिया। वहीं मिश्रा इस बात को सीधे तौर पर नकारते हैं कि उन्होंने पेड न्यूज छपवाई है।