शिमला। मनी लॉंडरिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर शिकंजा कस दिया है। निदेशालय ने बुधवार को दिल्ली में मुख्यमंत्री के पुत्र विक्रमादित्य की करीब 7 करोड़ की संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई की।
दिल्ली में मुख्यमंत्री की संपत्ति जब्त होने के बाद भाजपा को सीएम वीरभद्र सिंह के खिलाफ हमला बोलने का मौका मिल गया है। भाजपा ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से इस्तीफे की मांग की है।
भाजपा नेता प्रो. प्रेम कुमार धूमल का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा इस्तीफा न देने की स्थिति में भाजपा विधान सभा का सत्र नहीं चलने देगी।
दिल्ली से सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की संपत्ति जब्त की।
ईडी की यह कार्रवाई दिल्ली हाई कोर्ट के उन आदेशों के तहत हुई है जिनमें न्यायालय ने धन शोधन के मामले में ईडी से 31 मई तक रिपोर्ट मांगी थी।
ईडी क केस के खिलाफ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की तरफ से अदालत में पेश हुए वकीलों ने इस केस को रद्द करने का आग्रह किया था। मगर उनके आग्रह को अदालत ने नहीं माना।
उधर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की 7 करोड़ रूपए की संपति को जब्त करने की ईडी की कार्रवाई को पूर्व मुख्यमंत्री प्रौ. धूमल ने प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम करार दिया है।
उल्लेखनीय है कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई व ईडी दोनों ही मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ जांच कर रही हैं। मुख्यमंत्री पर 2009 -11 के बीच अपनी आय से अधिक छह करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है।
इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर भी दर्ज की है। एफआईआर में मुख्यमंत्री के अलावा एलआईसी एजेंट आनंद चौहान व चुन्नी लाल का भी नाम है। अब ईडी ने इस केस में कार्रवाई की है।