काहिरा। मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को काहिरा की एक अदालत ने सैन्य और खुफिया बलों से जुड़ी गोपनीय जानकारी कतर को उपलब्ध कराने के आरोप में आजीवन कारवास की सजा सुनाई।
अदालत ने मामले में मुस्लिम ब्रदरहुड के छह सदस्यों की मृत्युदंड की सजा बरकरार रखी और दो अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई।
उल्लेखनीय है कि मिस्र में आजीवन कारावास की सजा 25 साल है। उसी मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी दस्तावेज चुराने के जुर्म में मुर्सी को 15 साल की अतिरिक्त सजा दी गई है, जिससे उनकी सजा बढकऱ 40 साल हो गई।
मुर्सी के खिलाफ सजा की घोषणा अल जजीरा के दो पत्रकारों सहित 11 लोगों के खिलाफ चल रहे मुकदमे के अंतिम फैसले के दौरान की गई है। इन सभी पर खुफिया सूचनाएं लीक करने का आरोप है।
जिन लोगों को मौत की सजा दी गई है, उनमें अल जजीरा चैनल के पूर्व समाचार निदेशक इब्राहिम हेलाल सहित राजनीतिक कार्यकर्ता अहमद अफीफी, फ्लाइट अटेंडेंट मोहम्मद किलानी तथा शिक्षाविद् अहमद इस्माइल हैं।
उल्लेखनीय है कि मिस्र के कानून के मुताबिक, मौत की सजा पर मुफ्ती के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। इसी तारतम्य में अदालत को प्रारंभिक फैसले के बाद मिस्र के ग्रैंड मुफ्ती शावकी आलम से सजा पर सलाह लेनी थी, जो देश में सबसे बड़े धार्मिक नेता हैं।
फैसले के खिलाफ मिस्र की अपीली अदालत में अपील की जा सकती है। बता दें कि मुस्लिम ब्रदरहुड समर्थित मुर्सी के सत्ता में एक साल रहने के बाद विशाल विरोध-प्रदर्शन के बाद सेना ने जुलाई 2013 में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था।
इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट में एडवोकेसी तथा कम्युनिकेशंस के निदेशक स्टीवन एलिस की ओर से इस फैसले पर प्रतिक्रिया आई है, उन्होंने कहा कि वे फैसले से निराश हैं, लेकिन मिस्र में प्रेस की आजादी का जो हाल है, उसे लेकर हतप्रभ नहीं हैं।